सही जानकारी ही है डेंगू से बचाव का आसान और बेहतर विकल्प!
गोपालगंज (बिहार): मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। इसलिए डेंगू के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। “कनेक्ट विथ कम्युनिटी, कंट्रोल डेंगू” थीम पर इस वर्ष लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें इस अभियान में शामिल किया जाएगा। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण ने गुरुवार को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि आम लोगों के बीच सटीक जानकारी नहीं होने के कारण उनके लिए डेंगू शब्द ही खौफ़ का मुद्दा है। यदि इसके विषय में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाए तो लोगों के मन से डेंगू का भय ख़त्म हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बैनर, पोस्टर आदि का इस्तेमाल कर पूरे जिले में डेंगू दिवस के अवसर पर व्यापक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। जिला में अभी डेंगू का एक भी मरीज चिन्हित नहीं है।
साफ़ पानी में भी पनपता है डेंगू का मच्छर:
बीडीसीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि ऐडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। यह मच्छर साफ़ पानी में पनपता है जो ज़्यादातर दिन में ही काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। तीन से सात दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आंख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्त्राव होना डेंगू के लक्ष्ण में शामिल है। डेंगू का कोई सटीक ईलाज तो उपलब्ध नहीं है पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए. डेंगू के लक्ष्ण दिखाई देने पर बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना ख़तरनाक हो सकता है।
केवल एक प्रतिशत डेंगू ही जान लेवा:
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) अमित कुमार ने बताया कि डेंगू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं. साधारण डेंगू, डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम। ज़्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता है जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी मे आते हैं। यदि इनका शीघ्र ईलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्त्राव का निरीक्षण करना जरुरी होता है। राष्ट्रीय वेक्ट रबोर्न रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार एक प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के आभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक ख़तरनाक हो सकता है। इस दौरान वीडीसीओ प्रशांत कुमार, विपिन कुमार सहित जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के कर्मी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे।