नारी एक रूप अनेक विषय पर काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन!
बेतिया (बिहार): दिव्यालय:साहित्य यात्रा के पावन पटल के साथ मिलकर नवरात्रि के शुभ अवसर पर नारी एक रूप अनेक विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। भौतिक युग के आभासी पटल के माध्यम से दिव्यालय पटल की संस्थापक गुरु व्यंजना आनंद जी 'मिथ्या' कार्यक्रम अध्यक्ष गुरु नरेंद्र वैष्णव जी 'शक्ति' संरक्षक गुरु राजकुमार छापड़िया जी 'कुँअर' मुख्य अतिथि डॉक्टर कविता परिहार जी, विशिष्ट अतिथि तथा हमारी बेतिया शाखा अध्यक्ष रेनू पोद्दार जी, सचिव रूपा सिंघानिया जी, प्रांतीय उपाध्यक्ष बीना चौधरी जी की उपस्थिति में बेतिया शाखा की साहित्य प्रमुख सुचिता रुॅंगटा साईं द्वारा संयोजित इस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। चाकुलिया से रीता लोधा 'रिक्ता' द्वारा अभूतपूर्व मंच संचालन किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों का आह्वान कर उन्हें मंचासीन किया गया तदुपरांत कार्यक्रम अध्यक्ष नरेंद्र वैष्णव 'शक्ति' द्वारा दीप प्रज्ज्वलन की शुभ रीति संपन्न कर कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया गया। शंखनाद कर रीता लोधा रिक्ता ने मंच को भक्ति भाव से पूर्ण कर दिया। मनीषा बजाज द्वारा माँ शारदा को अपने भाव पुष्प अर्पित करते हुए सरस्वती वंदना का गायन किया गया। कार्यक्रम आरंभ करने हेतु औपचारिक अनुमति प्राप्त होते ही रीता लोधा 'रिक्ता' द्वारा छंदबद्ध सुंदर-सुंदर रचनाओं के माध्यम से काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया और मंच को गौरव प्रदान करने हेतु सबसे प्रशस्ति प्राप्त की । प्रांतीय साहित्य प्रमुख निशा प्रकाश जी एवं विभिन्न जगहों से बहनों ने इस कार्यक्रम में अपने काव्य पाठ से अपनी छंद युक्त स्वरचित भावपूर्ण रचनाओं के माध्यम से नारी के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया।
विशिष्ट अतिथि रेनू पोद्दार जी ने अपने उद्बोधन में नारी के सपनों को उड़ान देने का आह्वान किया गया।मुख्य अतिथि डॉक्टर कविता परिहार जी ने माता का जयकारा लगवाया। हम नवरात्रि क्यों मनाते हैं, इस पर प्रकाश डालते हुए महिषासुर मर्दिनी की कथा सुनाई तदुपरांत स्वरचित भजन प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। संरक्षक राजकुमार छापड़िया 'कुँअर' जी ने नारी मन को समझते हुए भावपूर्ण कविता सुनाई।नारी अपने परिवार के लिए दिन भर कितने जतन करती है किंतु अंत में उसे यही सुनने मिलता है 'देर हो जाती है'।कार्यक्रम अध्यक्ष नरेंद्र वैष्णव 'शक्ति' जी ने दिव्यालय परिवार के संस्थापक, संरक्षक अध्यक्ष सचिव, उपसचिव सभी के नाम को जोड़कर अत्यंत भावपूर्ण रचना के माध्यम से सबको बाँधकर रखा था। संस्थापक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' जी ने अपने दादा विमल राजस्थानी जी की ओजपूर्ण कविता के माध्यम से मंच को तेजस्वी रूप प्रदान किया। अंत में पुनः सभी साहित्य साधकों की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम समापन की औपचारिक घोषणा की और सबसे विदा ली।