ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निर्माण में घर दुकान तोड़ तो दिए गए पर पीडितों का सुनने वाला कोई नहीं!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से बिहार के हाजीपुर के बीच स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 पर बन रहे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण में बाधक बने माँझी के लगभग दो दर्जन धरों के साथ साथ लगभग इतनी ही संख्या में सड़क किनारे बनी पक्की दुकानों पर बुलडोजर चलाकर उसे तोड़ तो दिया गया पर बेघर हुए लोगों के दर्द तथा रोजगार से वंचित हुए दुकानदारों का दर्द सुनने वाला कोई नही। घर से बेघर हुए तथा रोजगार से वंचित हुए दर्जनों परिवार से जुड़े लोग कथित तौर पर सारण जिला प्रशासन तथा सम्बन्धित जन प्रतिनिधियों द्वारा इस मामले में उदासीनता बरते जाने तथा खासकर रूखे ब्यवहार से ब्यथित वे आक्रोशित हैं।
अपने खून पसीने की कमाई से एक एक ईंट को जोड़कर वर्षों पूर्व खड़ा किये गए अपने सपनों के घरों को बुलडोजर के सहारे तास के पत्ते की तरह बिखेर दिए जाने का उनका दर्द थमने का नाम नही ले रहा है। घर तोड़ दिए जाने के बाद भी मुआवजे की राशि से वंचित व अतिक्रमण के दायरे में आने वाले परिवार से जुड़े लोग किसी तरह झोंपड़ी में अथवा पड़ोसी के घर में रहकर अपना दिन गुजारने को विवश हैं। इतना ही नही सड़क किनारे बनी छोटी मोटी दुकानों के मकान मालिक से किराए पर लेकर दुकानदारी के जरिये अपने परिवार को दो जून की रोटी जुटाने वाले दुकानदार दुकानों को तोड़ दिए जाने के बाद से मारे मारे फिर रहे हैं। प्रभावित लोगों का दुर्भाग्य यह है कि उनके द्वारा मुआवजा की राशि को अब्यवहारिक व अपर्याप्त बताकर महीनों पूर्व जो आपत्ति जिला प्रशासन के यहाँ दर्ज कराई गई। मुआवजे को लेकर पीड़ितों द्वारा सारण आयुक्त के न्यायालय में एक मुकदमा भी दर्ज कराया गया। उक्त मुकदमे का फैसला आने से पहले ही भारी संख्या में पुलिस बलों व अर्द्ध सैनिक बलों को तैनात कर उनके घरों को कथित तौर पर जबरन जमींदोज कर दिया गया। जिला प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई से आक्रोशित व बुलडोजर अभियान से प्रभावित लोग अपने जन प्रतिनिधियों से इस मामले में चुप्पी साधने से बेहद खफा हैं।
नाराज लोगों का कहना है कि आसन्न लोकसभा चुनाव में उनका गुस्सा गुब्बार बनकर निकलेगा तथा सम्बन्धित नेताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अतिक्रमण हटाओ अभियान की जद में आने से पीड़ित माँझी थाने के चौकीदार ललन माँझी, पेशे से अमीन संजय कुमार दुबे, किसान उदयभान सिंह, रिटायर्ड दारोगा सुरेन्द्र शर्मा, संजय शर्मा, हरेन्द्र सिंह, नवीन कुमार चौधरी तथा फर्नीचर ब्यवसाई धनंजय कुमार सिंह आदि लोगों का कहना है कि उनकी जमीन के अधिग्रहण का न तो उन्हें समय पूर्व नोटिस उपलब्ध कराया गया और न ही पक्का भवन तोड़ने के लिए सरकार द्वारा स्थापित नियम का जिला प्रशासन द्वारा अनुपालन ही किया गया। प्रभावित लोगों का कहना है कि राज्य सरकार के भूअर्जन विभाग द्वारा स्थापित मानक को नजरंदाज कर दशकों से मान्य डीह बासगीत की जमीन तथा नगर पँचायत स्थित सड़क किनारे की ब्यवसायिक जमीन आदि का मुआवजा दर चँवर की जमीन के समान मनमाने ढंग से निर्धारित कर उसकी सूचना प्रभावितों को दे दी गई। जिसपर लोगों ने कड़ा एतराज जताते हुए पिछले अगस्त माह में ही सारण के आयुक्त के न्यायालय में एक मुकदमा दाखिल कर मुआवजा दर के पुनर्मूल्यांकन की गुहार लगाई। छपरा के डीएम को भी ज्ञापन देकर प्रभावितों द्वारा अपनी पीड़ा से उनको भी अवगत कराया गया।
आक्रोशित लोगों ने बताया कि स्थानीय भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल तथा माकपा विधायक डॉ सत्येन्द्र यादव के साथ साथ अन्य नेताओं से भी इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया गया। परन्तु कथित तौर पर किसी ने उनकी फरियाद नही सुनी। आक्रोशित लोगों का कहना है कि बेदर्द हाकिमो के रूखे ब्यवहार से ऐसा लगता है कि जैसे वे लोग भारतीय नही बल्कि पाकिस्तानी हैं। मुआवजे की आस लगाए प्रभावित परिवार के लोग खाली जेब अपने रहने की ब्यवस्था कहाँ करें तथा बन्द हुए रोजगार को पुनर्जीवित करने के लिए बेरोजगार दुकानदार कौन सा उपक्रम करें सभी इसी उधेड़बुन में फंसे हुए हैं। इस सम्बंध में पूछे जाने पर माँझी के सीओ अभिषेक रंजन ने बताया कि उनके कार्यकाल से पहले ही भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका था तथा भूमि व भवन का मुआवजा दर भूअर्जन कार्यालय द्वारा जारी किया जा चुका था। प्रभावितों के मुआवजे की राशि छपरा ट्रेजरी को उपलब्ध करा दी गई है। जिला प्रशासन के निर्देश के आलोक में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है।