अतिक्रमण
/// जगत दर्शन न्यूज
सार्वजनिक जीवन की मुश्किलों की जड़ - निरंकुश अतिक्रमण.
चाहें शहर हो या कस्बा,
हर जगह है इनका रुतबा।
सड़कों और चौराहों पर -
ई-रिक्शों का अतिक्रमण,
बाजारों और फुटपाथों पर
व्यापारियों का अतिक्रमण,
हर रेड लाइट सिग्नल पर -
भिखारियों का अतिक्रमण,
अस्पतालों में
डॉक्टरों का अतिक्रमण,
मेडिकल क्लीनिकों पर
दवा कंपनियों का अतिक्रमण,
स्टेशनों पर -
दलालों का अतिक्रमण,
सरकारी कार्यालयों में
अधिकारियों का अतिक्रमण,
दुकानों पर -
नक्कालों का अतिक्रमण,
सब्जी और फलों पर,
रसायनों का अतिक्रमण,
दूध और मिठाई में,
मिलावट खोरों का अतिक्रमण,
पार्कों और पार्किंग में,
गुंडों का अतिक्रमण,
घरों के बुजुर्गों में,
एकाकीपन का अतिक्रमण,
देश के नौनिहालों पर,
मोबाइल का अतिक्रमण,
नौजवानों पर,
बेरोजगारी का अतिक्रमण,
किशोर, किशोरियों में
ब्रांडेड का अतिक्रमण,
जब आप शिकायत लेकर थाने जाएंगे,
तो वहां पर थानेदारों का अतिक्रमण पाएंगे।
और न्यायालय में जब न्याय के लिए जाएंगे
तो वहां तारीखों का अतिक्रमण पाएंगे,
आदमी परेशाँ है इसलिए कि,
उसके इर्दगिर्द लालच का रण है,
और ज़िंदगी में अंतहीन,
ख्वाहिशों का अतिक्रमण है।
-------------------------------