चैत्र नवरात्र पर विशेष
त्रिपुरसुंदरी
/// जगत दर्शन न्यूज
गंगा की धारा में सूरज
पुलकित होकर
रोज सुबह दस्तक देता
आनंदित होकर
सबके मन को कहता
सदाचरण से
यहां आदमी का जीवन
धूप में फूलों सा खिलता
प्रकृति का सुंदर आंचल
सृष्टि की सजीव कहानी
माता त्रिपुरसुंदरी !
यहां तीनों लोकों के
सिंहासन की महारानी
सूरज चंदा की छाया में
यहां धरती सबको भाती
प्रातकाल में हवा सुवासित
सबको जीवन का
पावन संदेश सुनाती
सबके हृदय में कलकल
बहता रहता
ईश्वरप्रेम का निर्मल सरस
प्रवाहित पानी
इसकी धारा में विराजती
त्रिपुरलोक की सुंदर रानी
इनका ध्यान सदा करते
साधु सज्जन मुनि ज्ञानी
शास्त्र पुराणों की
सच्ची पावन वाणी।
यहां आकाश से सूरज
रोज फूलों को बरसाता
गंगातट पर आकर
इसी पहर सबका हृदय
प्रेम से पवित्र हो जाता
त्रिपुर सुंदरी के चरणों में
सूरज अपना मस्तक
रोज नवाता
चंदा अपनी रजतधार से
हरसिंगार की डाली को
हर घर में महकाता
यहां आकर
आनंदभाव से
रोज सबका मन भर जाता
ढोल झाल मृदंग बांसुरी
मधुर गीत बधावा बजता
रहता
हर नर नारी
अपनी आस्था के फूल
देवी के चरणों पर श्रद्धा से
नतमस्तक होकर
सबकी कल्याण कामना
करता
सत्वभाव से धरती का
कण कण आलोकित होता
सूरज सात रंग की
सुंदर किरणों से प्रेमबीज
आकर
धरती के आंगन में बोता
त्रिपुरसुंदरी की महिमा से
धरती पर
रोज उजाला आता
नवरात्र , दिवाली
होली का त्यौहार
बीत जब जाता
चैत महीने में फिर
वसुधा पर देवी का
सबको सुंदर श्रृंगार सुहाता
धूप के रंगों से यह धरती
त्रिपुरसुंदरी सी लगती
अमावस्या की गहन रात्रि में
वह सागर की
लहरों के पास विहंसती