यादगार लम्हा !
✍🏻प्राची शुक्ला
जो भुलाए नहीं भूलता
बस उसके
रंग अलग अलग हैं।
जिंदगी भगवान की
सौगात है
जिंदगी प्यार की सौगात है, जिंदगी वो मकसद है
जिसे हमें बिना रुके बिना डरे
प्राप्त करना है।
हे मानव !
जिंदगी एक प्रतियोगिता नहीं
एक बोझ नहीं है।
जिसमे हर पल ,
हर समय हम एक दूसरे से अपनी तुलना करते रहते हैं।
सबके अपने अपने
विचार होते हैं,
अपने अपने गुण होते हैं।
कोई किसान है, तो कोई मजदूर,
कोई अध्यापक है तो कोई डॉक्टर,
कोई मंत्री है,तो कोई प्रधानमंत्री,
सबकी अपनी अपनी पहचान
धरती पर हैं उनके निशान
मेरी जिंदगी का
सबसे खूबसूरत पल,
जब मैं तेरी बांहों में थी,
वो सबसे खूबसूरत लम्हा,
जब मेरी सांसों ने
तुम्हारी सांसों को स्पर्श किया।
मेरे विचारों का
उनके विचारों से मंथन होना,
कोई अमृत के पान करने से कम न था।
मेरी जिंदगी का वो सबसे खूबसूरत पल,
जी तो चाहता था ,
जिंदगी का वो पल वहीं थम सा जाए ,
रुक जाए जाता हुआ लम्हा।
जी ली उस पल में सारी जिंदगी,
वो किसी कायनात से
कम न थी।
इतना प्रेम
कभी किसी से न मिला,
न अपनेपन का
मार्मिक स्पर्श,
मुझे दरकार थी
तेरे प्यार की,
बस अब और न कुछ चाहिए,
पूरे हो गए अरमान सारे,
वो मेरी जिंदगी का खूबसूरत
पल।
याद करें हम जिंदगी का
वो लम्हा,
जब कुछ अच्छा भी हुआ
होगा ।
सपनों को सच होते
हमने देखा होगा।
अपनों के संग खुशियां मनाई होगी।
चैन की नींद ली होगी।
क्योंकि वो भी एक खूबसूरत पल था।
प्यारे दोस्तो,
जिंदगी खुशियों का
बाजार नहीं जहां खुशियां ही खुशियां हों
यहां धोखा, छल,
कपट सब मिलता है।
बस सहने की
ताकत होनी चाहिए,
सब आसान हो जाएगा।
यहां रोओगे तो जिंदगी
दुखों का सागर,
यहां हँसोगे तो खुशियां ही खुशियां।
क्योंकि अपना हर पल खूबसूरत होता है।
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