सच मौन क्यों है?
/// जगत दर्शन साहित्य
लोग पूछते हैं
सच मौन क्यों है
मैं समझती हूं,
सच समझदार है
उसके कुछ आचार विचार जो
उसके मौन के लिए
जिम्मेदार हैं।
रोज दफ्तरों में फाइल
लटकाने वाले
बाबुओं से आप कब सीधे कह
पाते
क्यों नहीं अपना खर्चा हो
बताते
फाइल क्यों नहीं आगे बढ़ाते।
नेता से आप कब पूछ पाते हैं
स्वागत के फूल मुरझा जाते हैं
जब दिए हुए टाइम से
तीन तीन घंटे लेट आते हैं।
भव्य शादी समारोह का
आनंद
भूरि भूरि प्रसंशा देख प्रबंध
मगर कितनी ली दक्षिणा
क्या सुधि जन बताते हैं।
अब अगर सच मुखर हो जाए
बाबू को आइना दिखाए
मंत्री को समय की कीमत समझाए
शादी समारोह में दहेज का जिक्र आए
तो उत्पन्न स्थिति के विचार से
हंगामों की बौछार ,
शांति भंग करता कौन
पूछे लोग कौन है
इसीलिए सच मौन है।
क्योंकि वह भी अवगत इससे है
सत्य की गरिमा समय से है
बेवक्त बजे ढोल पे नाचता कौन है
शायद इसीलिए सत्य मौन है।
हां, सत्य गूंगा नहीं पर मौन है!
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