मशरूम उत्पादन का छपरा बना बड़ा हब!
/// जगत दर्शन न्यूज
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: मशरूम उत्पादन का छपरा अब बड़ा हब बन गया है। इसका जीता जागता उदाहरण मांझी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित नरवन गांव है जहां उत्तर बिहार का सबसे बड़ा मशरूम उत्पादन केन्द्र विकसित हो रहा है। लगभग एक करोड़ की लागत से सात वर्ष पूर्व उद्घाटित हुए 'रब दे इंसान एग्रोटेक समन्वित मशरूम परियोजना' उद्यान निदेशालय, राज्य बागवानी मिशन, पटना द्वारा स्वीकृत है। रोजाना लगभग दो से ढाई क्विटल ताजा मशरूम का यहां उत्पादन हो रहा है।
इलाका में हब
प्रतिदिन बस अथवा ट्रेन से कोलकाता, सिलीगुड़ी, बोकारो, पटना व पड़ोसी जिले सीवान की मंडियों तक ताजा मशरूम पहुंचता है। मशरूम थोक दर पर औसतन एक सौ अस्सी रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। चार चेम्बर से युक्त उक्त केंद्र पर प्रतिदिन महज दो से ढाई क्विटल ही मशरूम उगाया जा पाता है। मशरूम चिकित्सीय दृष्टि से सुपाच्य, शक्तिवर्धक, स्वादिष्ट और शुगर व मोटापा से परेशान मरीजों के लिए रामबाण का काम करता है।
रिटायर्ड कृषि अधिकारी ने स्थापित किवा केन्ना: अरुणाचल प्रदेश से जिला कृषि पदाधिकारी के पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद नरवन निवासी शम्भू कुमार ने गांव के विकास का संकल्प लेकर वर्ष 2013 में उक्त
केन्द्र के निर्माण के लिए अपना पटना का मकान बैंक को मॉर्गेज कर दिया। इसके अलावा आईडीबीआई बैंक से 45 लाख का लोन कराने में उन्हें बैंक डिपॉजिट की रकम भी बैंक में गारंटी के तौर पर रखनी पड़ी। बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। गांव में मजदूर मैटेरियल व बिजली के अभाव के बावजूद वे अपने संकल्प पर कदम-दर कदम आगे बढ़ रहे हैं।
मशरूम का बाजार मजबूत करने पर बल
गांव की बेरोजगारी दूर करने का सबसे बेहतर माध्यम मशरूम को मानने वाले शम्भू कुमार मशरूम का बाजार मजबूत करने की आवश्यकता जताते हैं। शम्भू कुमार के पिता स्व राघव सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफ़ेसर थे। जबकि बडा बेटा डॉ. सौरभ शेखर इंडोनेशिया की मार्स कंपनी का कंट्री हेड है। छोटा पुत्र शशांक शेखर हिमाचल प्रदेश के बदी स्थित जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में मैकेनिकल इंजिनियर सह प्लांट हेड है। बेटी श्वेता शेखर दिल्ली से निफ्ट की परीक्षा उतीर्ण कर नोएडा में अपने पति के साथ रहती है।
पाँच कट्ठा जमीन में बना है केन्द्र
लगभग पांच कट्ठा जमीन पर बने उक्त केन्द्र स्थापित है। यहां पर मशरूम बीज, स्पॉन, मशरूम, कम्पोस्ट खाद व तीनो किस्मों के ताजा मशरूम का उत्पादन होता है। साथ-साथ उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर तिमाही प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। मांझी कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षण देते हैं। मांझी कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ अभय कुमार सिंह ने बताया कि यहां से प्रशिक्षित किसान सारण प्रमंडल के अलावा मोतिहारी, बेतिया ही नहीं बल्कि यूपी के बलिया में लगभग डेढ़ दर्जन केन्द्र संचालित कर छोटी रकम के सहारे हजारों रुपये कमा रहे हैं।