डाॅ. रवि बत्रा का हुआ साक्षात्कार दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय में होस्ट किशोर जैन के साथ
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
/// जगत दर्शन न्यूज
भारत अपनी अनूठी संस्कृति सभ्यता के लिए पहचाना जाता है। हम भारतीयों की खासियत है कि हम अपने पर किये उपकार को सदैव याद रखते हैं। साथ ही हम जल की तरह पवित्र होते हैं। जहाँ जाते हैं उनके अनुसार हिल मिल जाते हैं। जहाँ रहते हैं उस धरती की कीमत जरूर चुकाते हैं और फिर अपने कार्य करते-करते कोहिनूर बनकर सारे विश्व में चमकने की शक्ति रखते हैं।
ईश्वर की कृपा जिस पर हो जाती है वह पत्थर से कोहिनूर हो जाता है। इस बात को साबित करने वाले हमारे आज के मेहमान भारतीय अमेरिकी लेखक, अर्थशास्त्री और दक्षिणी मीडोलिस्ट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी है। आपकी बेस सेलर किताबों में शामिल हुई किताबें द ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 1990 जिसको उन्होंने वित्तीय पूंजीवाद ज्यादा प्रजनन करता है इस विषय पर आधारित है। आप आपके कार्यों में एक वितरण प्रणाली जिसे प्रगतिशील उपयोगिता तत्व सिद्धांत अर्थात् प्रउत के रूप में जाना जाता है। यह सिद्धांत भौतिक कल्याण के साथ व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारता है l आप अक्सर सीएनबीसी एबीसी सीएनएन आदि चैनल पर दिखाई देते हैं।
प्रश्न 1- सर आप का जन्म कब और कहाँ हुआ? और आपका पूरा नाम क्या है?
उत्तर- जी मेरा पूरा नाम रविंद्र नाथ " रवि बत्रा " है। मेरा जन्म 27 जून 1943 में हुआ, पंजाब में और मेरी शिक्षा ग्रेजुएशन पंजाब यूनिवर्सिटी से 1963 में पूरी की। उसके उपरांत मास्टर्स यानि एम.ए. की डिग्री के लिए मैंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जॉइन किया और सन 1965 में पूरा किया। सन 1969 में मेरा पीएचडी इकोनॉमिक्स पूर्ण हुई और मुझे साउदर्न इलीनोइस से डाक्टरेट मिला। वेस्टर्न ऑन्टेरियो यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स में सन् 1969 में एसिस्टेंट प्रोफेसर के रुप चयनित हुआ। इसके उपरांत मैं मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी दलास में कार्य, 1970 में टेक्सास यूनिवर्सिटी में एसिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स के रूप में कार्यरत रहा। सन 1972 में मैं एसोसिएट प्रोफेसर और सन 1973 में मेरी नियुक्ति प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स और हेड ऑफ द डिपार्टमेंट तीस वर्ष की आयु में नियुक्त हुआ।
प्रश्न 2 - सर आपने ये किताब क्यों लिखी?
उत्तर- एक इंडियन- अमेरिकन इकोनॉमिस्ट, अथर और प्रोफेसर ऑफ साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के रूप में मेरी छः किताबें (बत्रा द अथर ऑफ सिक्स बेस्ट सेलिग्स बुक में छा गयी, जिनमें से दो तो द न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर लिस्ट में टाॅप रही जैसे- (द ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 1990) ने तहल्का मचा दिया और वह न. 1 पर रही। मेरी ये किताबें फाइनेंशियल, कैपिट्लिज्म, पर थी इसमें यह सामंतवाद कैसे पूंजीवाद पर हावी है। मैंने अपनी किताब में डिप्रेशन में इसका जिक्र किया है। कैसे असमानता और अब राजनीतिवाद में क्राइम जिसके कारण बढ़ता है, आर्थिक परेशानियों उत्पन्न होती है और मानस मस्तिष्क पर तनाव होता ह। इसमें मैंने लिखा है की अगर आर्थिक संपन्नता बराबर हो तो समाज पूंजीवाद की ओर विकसित होता है। (PROUT) Theory का मतलब सिर्फ मटेरियल वेलफेयर को ही बढ़ावा न देना बल्कि पूरी तरह से काबिल बनाना ताकि व्यक्तित्व का पूर्ण विकास हो सके।
प्रश्न 3- सर आपको एक कुशल व्यक्तित्व के रूप में माना जाता है, आनंदमार्ग में?
उत्तर- प्राउट अर्थव्यवस्था सहकारी और विकेंद्रीकृत है। इसका ध्यान व्यक्तियों और उनकी खूबियों की उपेक्षा किए बिना, लाभ के बजाय सामूहिक कल्याण पर है। "प्रगतिशील उपयोग" का तात्पर्य संपूर्ण पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए स्थायी आधार पर प्राकृतिक, औद्योगिक और मानव संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करना है। यह सिद्धांत पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों की सीमाओं को पार करने का दावा करता है। यह सरकार के सामाजिक चक्र के नियम के सामाजिक सिद्धांत के अनुरूप है। सिद्धांत का उद्देश्य शारीरिक, शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक, मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सहित सभी प्राणियों के संपूर्ण व्यक्तिगत और सामूहिक अस्तित्व को शामिल करना है।
प्रश्न 4: आप पर गहरा प्रभाव किसका रहा हैं?
उत्तर- जी मेरे लेखन को मेरे गुरु प्रभात रंजन सरकार के दर्शन के संदर्भ में माना जाना चाहिए, जिनका मुझ पर गहरा प्रभाव रहा है।
प्रश्न 5: अपनी बेस्टसेलर किताब के बारे में बताएं!
उत्तर: 1984 में, जब धन, मुद्रास्फीति, विनियमन और अवसाद के नियमित चक्र शीर्षक के तहत पहली बार अपनी पहली बेस्टसेलर किताब लिखी। इस पुस्तक का एक केंद्रीय विषय धन का गलत वितरण था, जिसे बत्रा ने वित्तीय सट्टेबाजी उन्माद के पिछले एपिसोड का कारण पाया, जिसके बाद दुर्घटना और अवसाद हुआ। लेस्टर थुरो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक प्रस्तावना लिखी जिसमें कहा गया कि विचार "अनूठे और शानदार" थे। बाद में इस किताब का नाम बदलकर द ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 1990 कर दिया गया। यह 1987 की शुरुआत में नॉन-फिक्शन श्रेणी में न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलर सूची में शामिल हुई और उसी साल बाद में नंबर 1 पर पहुँच गई। लेकिन सन् 1990 में अमेरिका में पूर्ण पैमाने पर मंदी की भविष्यवाणी की थी ; ऐसा नहीं हुआ. साम्यवाद के पतन के बारे में उनकी सही भविष्यवाणी के कारण मेरी प्रतिष्ठा यूरोप में बढ़ी और 1990 में इतालवी सीनेट के पदक से सम्मानित किया गया। बत्रा ने 2000 के दशक की शुरुआत तक आर्थिक अस्वस्थता के साथ जापान में बेस्टसेलिंग कार्यों को प्रकाशित करना जारी रखा।
प्रश्न 6-सर सुना है आपने कुछ भविष्य वाणी भी की थी?
9 सितम्बर 2007 को मैनें भविष्यवाणी की:
इस दशक के अंत तक... 2010 के आसपास संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राजनीतिक क्रांति होगी। और क्रांति पूरी होने से पहले चार या पांच साल तक चल सकती है। इसलिए, 2010 से 2016 तक हमें अमेरिकी अर्थव्यवस्था और समाज में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यह एक शांतिपूर्ण क्रांति होगी और यह समाज में पैसे के शासन को समाप्त कर देगी। इतिहास से पता चलता है कि 1750 के आसपास के समृद्ध सामंती प्रभुओं (योद्धा वर्ग) को कभी पता ही नहीं चला कि कब वे आगे निकल गए और उनकी जगह औद्योगिकीकरण का नेतृत्व करने वाले नव पूंजीपतियों ने ले ली। आने वाला समय और भी सुदृढ़ होगा। उन्नीसवीं सदी [1848] के मध्य तक साम्यवाद ने भी जड़ें जमा लीं और 1990 के दशक तक सोवियत संघ का पतन हो गया। आप रिकॉर्ड में हैं कि पूंजीवाद और साम्यवाद लंबे समय में विफल होने के लिए बाध्य हैं। 21वीं सदी की शुरुआत के आसपास, 20 प्रतिशत लोग 80 प्रतिशत संसाधनों/धन पर नियंत्रण रखते हैं।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस तरह साक्षात्कार के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम नये नये प्रतिष्ठित व्यक्ति से परिचित हो सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।