जाने- माने कलाकार सुनील कुमार मंजुल जी होस्ट किशोर जैन के साथ "दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार!
अतिथि: सुनील कुमार मंजुल जी
होस्ट: किशोर जैन
रिपोर्ट: सुनीता सिंह "सरोवर"
हमारी भारतीय संस्कृति और कला का काफी गहरा संबंध है कला में अपनी अभिव्यक्ति की शैली कलाकार करता है l गायक गाने के द्वारा, वादक अपने वादन द्वारा और चित्रकार अपने रंगों एवं आकृतियों द्वारा चित्रकला ऐसी कला है जिसमें व्यक्ति रंगों की प्रकृति, रंगों के मनोविज्ञान के माध्यम से जड़ चेतना स्वरुपों को चित्रित कर अपनी क्षमताओं का विकास करता है।
मुकेश जी का गाया गाना फ़िल्म बूँद जो बन गये मोती से हैं ये कोंन चित्रकार है। ये कौन चित्रकार। ये चित्रकार आज के मेहमान हैं आदरणीय सुनील कुमार मंजुल जी।
प्र. 1. सर आप बिहार के किस शहर से हैं और आपकी शिक्षा- दीक्षा कहाँ से हुई?
उत्तर- जी मैं बिहार की राजधानी पटना सीटी से हूँ, वही के एक प्रसिद्ध मारवाड़ी स्कूल से ही मेरी शिक्षा हुई। ऐसा भी कह सकते हैं कि मेरे पिता और पितामह ने भी वही से शिक्षा ग्रहण की और मेरा सौभाग्य रह रहा की मेरी शिक्षा मेरे पिता के गुरुओं से ही हुआ। कक्षा आठवीं में ही मैंने कामर्स ले लिया, और बस उसे ही आगे भी रखा, आर्ट मेरे रगों में हैं, तो जाहिर है रुझान इधर भी गया और आज मैं एक आर्टिस्ट कम कवि के नाम से प्रसिद्ध हूँ।
प्र.2- आपका शहर में पले बढ़े हैं। सारी सुख सुविधा है फिर आप गाँव दरभंगा कैसे पहुंचे?
उत्तर- मुझे गाँव में प्रकृति के बीच रहना बहुत पसंद है।अधिकतर हमारी कल्पनाओं में हमारी लेखनी और चित्र में भी गाँव का दृश्य कभी पानी भरती पनिहारिने, कही हल चलाते किसान तो कहीं मवेशियों को चराते बच्चे ही होतें हैं और फिर शहरों में छोटे से मकान में ही पूरी जिंदगी लगता है। कैद हो जाती है। भागमभाग जीवन से दूर गाँव का शुद्ध और शांत वातावरण मुझे सदा से ही लुभाता है। इसलिए मुझे गाँव में रहना पसंद है।
प्र.3 आपका मिथिला आर्ट एंव कल्चर नाम का एंजियो है? हमारे श्रोताओं को इसके बारे में थोड़ी जानकारी दें?
उत्तर- जी कला मेरी धरोहर है और लिखना मेरा शौक है।
दर असल कला क्षेत्र से जुड़े होने के नाते मैंने हर संभव प्रयास किया कि समाज के अछूते पहलूओं पर भी ध्यान केंद्रित करूँ। हर तबके के बच्चों के लिए समुचित शिक्षा और कला का मार्ग खुले, साथ ही हमारी संस्कृति मिथिला का एक अलग ही इतिहासिक सरोकार है, जिसे संचित करना और हमारे आने वाले पीढ़ियों तक पहुँचा सके। इसी संकल्प के साथ मिथिला आर्ट एंजियो की नीव रखी गई है।
प्रश्न 4- आपके एंजियो में कितने वर्ष के बच्चे सीखने आते हैं? आप कितनी फीस लेते हैं?
उत्तर- जी हाँ मेरे पिता के सहयोग से हमारे एनजीओ में ज्ञान दान का नेक कार्य चल रहा है और शायद ये मेरे पूर्वजों के आशीर्वाद स्वरूप ही मुझे ये हूनर विरासत के रूप में मिली है और तभी से मैं गरीब बच्चों को मुफ्त में इस कला को सीखाता हूँ। तमाम समाज सेवी हैं, जो सहयोग करतें हैं। फिर जैसा की आजकल मंहगी फीस लेकर लो सीखा रहे हैं, तो मैं मामूली फीस लेता हूँ, ताकि हर वर्ग के लोगों के लिए रह हुनर आसान हो जाएं एवं अपने पैरों पर खड़े होने का साधन भी बन जाए।
प्रश्न-5 आप अपने आखिरी संदेश में समाज और युवाओं के लिए क्या कहना चाहतें हैं?
उत्तर: अपने आखिरी संदेश में मैं यही कहना चाहता हूँ कि मानव जीवन एक साधना के फल स्वरूप ही प्राप्त होता है और एक कलाकार शिक्षक, कवि एवं समाज सेवक होने के नाते मैं आज के युवा शक्ति से यही कहना चाहता हूँ, जो भी करें पूरे मन से करें। अगर आप की रूचि लेखनी में है तो आजकल के जीवंत मुद्दे पर कलम चले तो इतिहास बन जाए। अगर आप एक चित्रकार हैं तो अपनी कलाकृतियों में जान भर दीजिये। खिलाड़ी हैं तो खेल के मैदान में अपना सौ प्रतिशत दें।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।