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दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार!
होस्ट- किशोर जैन
/// जगत दर्शन न्यूज
हम सब ने कई बार सुना है कि डर के आगे जीत है, पर बहुत ही कम लोगों ने इस बातचीत को आजमाया होगा। पर आज दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय में कुछ बातें चंद यादें नई पुरानी में एक ऐसी सख्सियत से मिलवाने जा रहा है, जिन्होंने कई डरों को पार करके, अपने डर पर काबू पाकर अपने जीवन के हर लक्ष्य को, अपनी क्षमताओं को जान कर कई ऊँची चोटियों को फतवा किया।
आचार्य चाणक्य जी का एक कथन याद आ रहा है कि "जैसे ही भय आपकी तरफ बढ़े, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट करो।"
प्रश्न- आप कहाँ से हैं?
उत्तर- जी मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का रहने वाला हूँ और मेरी शिक्षा भी यहीं से हुई।
प्रश्न- आप क्या करते हैं? और अभी तक आपने अपने अभियान में किन- किन चोटियों पर फतह पाया है?
उत्तर- जी, मैंने सिविल इंजीनियर हूँ और साथ ही इन सबके अलावा मैं स्कूबा डायविंग, स्वीमिंग, और स्कायडायविंग से जुडा़ हुआ हूँ। अपने इस एडवेंचर्स अभियान के तहत अभी तक मैंने किलमंजारो, अमेरिका वेस्ट इंडीज और पेसिफिक के शिखर पर फतह कर चुका हूँ। माउंट एवरेस्ट तक पहुँच सकूँ यह चाहत है।
प्रश्न- आपका एक्सीडेंट कैसे हुआ और कहाँ हुआ? ऐसे में आपने 7 महाद्वीप के शिखरों को छूने की ठानी है?
उत्तर- जी मेरा एक्सीडेंट संयोग कह सकते हैं। कुछ ऑयली चीज लगी थी। रेल के हैंडल पर और बस फिसल कर गिरा दोनों पैर जख्मी हो गए। आठ महीने अस्पताल में रहा। दोनों पैर गवाने पड़े। आज आर्टिफिशियल पैर से मंजिल को पाने की जद्दोजहद है। कभी मौसम अनुरूप नहीं रहता कभी हालात। कहते हैं 'ना जैसे प्यासे को कूआ तो दिखा पर प्यास अधूरी रही।' पर्वत रोहण इतना आसान नहीं होता। खुद को फिजिकली और मेंटली फिट रखना पड़ता है। विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करना पड़ता है। तब कही जाकर अपने देश और खुद के सपनों को पंख मिलता है।
प्रश्न- क्या आपको इन सबके लिए कहीं से फंडिंग या किसी संस्थान ने सहयोग किया?
उत्तर- अभी तक तो मेरे पिता ने और मैने अपने नीजी सेविंग्स और लोन के सहारे यहाँ तक पहुँचाया है। अब भारत सरकार की तरफ से भी थोड़ा सहयोग मिला है। पर आगे के लिए उन्होंने देश वासियों से अपिल की है कि अगर कोई स्पांसर करे तो बेहतर नहीं तो थोड़ा ही सही। अगर पूरे देशवासी फंडिंग करें तो शायद हम जैसे महत्वाकांक्षी लोगों को आशीर्वाद के साथ अपने देश और देश वासियों को गौरव के क्षण भी मिलेंगे। इस कठिन कार्य को पूर्ण करने के लिए शेरपा मदद करतें, जो वही पहाड़ी निवासी होतें हैं और वे पूर्णतया दक्ष होतें हैं। इस कार्य में वे 18/20 किलो वजन के साथ आक्सीजन सिलेंडर को भी लेकर चढ़ने में मदद करतें हैं।
प्रश्न- आप जाते- जाते आज की शाम युवा शक्ति को क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर: हमें कभी भी किसी और को अपना मोटिवेशन न बना कर खुद के पैमाने का ध्यान रखते हुए अपने आप को ही मोटिवेट कर अपनी मंजिल तक पहुँचने कि ज्जबा रखना चाहिए। 'हौसले अगर बुलंद हैं, तो सफलता कदम चूम ही लेती है।'
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन जी ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मंजिरी निधि 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है। पूरे दिव्यालय परिवार की तरफ से उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आप के हौसलें को कोटि- कोटि नमन है।