जैन मुनि आचार्य लोकेश जी महाराज का दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार!
अतिथि: जैन मुनि आचार्य लोकेश जी
होस्ट: किशोर जैन
रिपोर्ट: सुनीता सिंह "सरोवर"
/// जगत दर्शन न्यूज
आज हमारे दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय चंद बातें कुछ यादें नई पुरानी में आज हमारे दिव्य अतिथि जैन मुनि आचार्य लोकेश मुनि जी से रुबरु करवाने जा रहें हैं।
योगी जीवन श्रेष्ठ है, साधक लक्ष्य महान।
त्याग तपस्या ज्ञानरत, सत्य मार्ग पहचान।।
सत्य मार्ग पहचान, विवेकी दुर्लभ होता।
चिंतन शील प्रधान जागता कभी न सोता।।
योग साधना मस्त, नहीं वही मानस रोगी।
सदा करे कल्याण, रहे वह सच्चा योगी।।
आज के इस कुंडलियाँ छंद को सुनकर आप सभी को ज्ञात हो ही गया होगा कि दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय चंद बातें कुछ यादें नई पुरानी में आज हम सब स्वागत करते हैं आचार्य लोकेश जी महाराज जी का।
प्र.1: आप कहाँ से हैं और आपने दीक्षा लेना क्यों जरूरी समझा? क्या आपके परिवार जैन धर्म को मानते हैं?
उत्तर- मैं राजस्थान अलवर जिला का रहने वाला हूँ, वैसे तो आपका भरा पूरा परिवार है और परिवार भी जैन धर्म को ही मानने वाला है। आपके आस-पास के लोग यानि पडो़सी भी जैन धर्म को ही मानने वाले थे।
प्रश्न.2: आपने कौन से साल में दीक्षा ली?
उत्तर- वैसे तो कक्षा पंचम् के बाद से ही मैं अपने गुरु महाराज के आश्रम में रहने लगा, जहाँ उन्होंने जैन ग्रंथ धर्म के साथ - साथ अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी। कहते हैं ना मन तो माटी का कच्चा घड़ा है, इसे विचार रुपी अग्नि में तपा कर दृढ़ बनाना पड़ता है और शायद मेरा जन्म ही मानव सेवा और अध्यात्म के लिए हुआ है। मैंने स्नातक के बाद दीक्षा ग्रहण की। वैसे मैंने हिंदी विषय में स्नातक किया है परन्तु अभी भी मैं शिक्षारत हूँ।
प्र.3: दीक्षा परिवार के दबाव में ली या अपनी मर्जी से?
उत्तर- मेरा रुझान बचपन से ही ईश्वर की तरफ था इसलिए इसके लिए किसी तरह का कोई दबाव नहीं दिया गया। हमने अपनी इच्छा से 22 साल की उम्र में ही दीक्षा ली और तबसे लेकर आज तक और ताउम्र जनमानस की सेवा और भारत भूमि की सेवा करता रहूंगा।
प्र.4: क्या दीक्षा लेने के बाद आपको अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी?
उत्तर: नहीं। मैंने दीक्षा लेने के बाद भी अपनी शिक्षा जारी रखी। इस समय मैं पढ़ा भी रहा हूँ और पढ़ भी रहा हूँ।
प्र.5: क्या कभी ऐसा विचार आया कि आपको को दीक्षा नहीं लेना है?
उत्तर- नहीं, ऐसा कभी नहीं हुआ।
प्र.6: आज सवा सौ करोड़ भारतीय गौरवान्वित हैं। अपने महान संत को विदेशी धरती पर हिंदुस्तान के परचम को लहराते हुए देख कर। सत्य अहिंसा के पाठ को आपने पूरे विश्व में मान दिलाया है, तो आचार्य श्री क्या ये साम्प्रदायिक कट्टरता मोक्ष मार्ग में बाधक है?
उत्तर- देखिए एक संत को सादा जीवन, ईश वंदना और मानवता का रक्षक माना जाता हैऔर मैं वही कर रहा हूँ। यहाँ आने से पहले मैं हजारों मिल पैदल पग यात्रा किया। बाद में मैंने इजाज़त ली और यहाँ विदेशों में हमारे 70 जैन सेंटर हैं जहाँ से हम अपने धर्म और कर्म का पालन करते हुए सत्य, अहिंसा को अपनाने के लिए हर मानव जाति को प्रेरित कर ईश्वर के मार्ग और इंसानियत की राह दिखा रहें हैं। इसी तरह हम यहाँ बौद्ध धर्म गुरु माननीय दलाईलामा से भी मिले। हर एक धर्म ग्रंथ का एक ही सार है, मानवता की रक्षा।
प्र.7: आपने मुख पर पट्टी क्यों लगाए रखा है?
उत्तर:- इस धरा पर अनेकों सुक्ष्म जिवाणु होते हैं, जिन्हे हमारे मुख की गर्म वायु भी सहन नहीं होती है और बोलते समय मुख से थूक न निकले, इसलिए पट्टी लगाए रखना अनिवार्य है। इस धरती पर सभी जीवों को जीने का अधिकार है। हमें किसी को भी कष्ट नहीं पहुचाना चाहिए। इसलिए हमें शुद्ध शाकाहारी भोजन को अपनाना चाहिए। ऐसा हर धर्म में कहा गया है मानना न मानना ये अपनी श्रद्धा होती है।
प्रश्न 8: हमारे युवा पीढ़ी के लिए आप क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर- युवा पीढ़ी समाज के रीढ़ की हड्डी की तरह है। आज की युवा पीढ़ी जागरूक है। इन्हें अपने धर्म से भी आस्था है। बस ये रूढ़िवादी परंपरा को नहीं मानते। हमारी युवा पीढ़ी एक पावर हाऊस की तरह उर्जावान है। फिर चाहे वो राजनीति हो, समाज के और देश के विकास की बात ही क्यों न हो, वे तत्परता से सक्रिय हैं।
प्रश्न 9: आप आज की नारी शक्ति के लिए क्या कहना चाहतें हैं?
उत्तर- एक पुरुष अगर शिक्षित होता है, तो वह अपना परिवार पालता है। अपितु एक बालिका को शिक्षित करें तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। हमारी ये ममता की मूर्तियां कंधे से कंधा मिलाकर कर चल रही हैं और सही मायने में मीडिया, महिला और महात्मा अगर एक साथ मिलकर चले तो एक नया आयाम गढ़ा जा सकता है।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मंजिरी निधि 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।