बरसात: पीके सूर्यवंशी 'कृष्णा'
/// जगत दर्शन न्यूज
कविता - बरसात
बारिश की बूंदे गिरती झम झम झम
तारे चमके टम टम टम
नीले आसमान छाए हैं
फिर बरसात लाए हैं
हरियाली हैं सुंदर वन में
खुशहाली हैं लोगों के दिल में
धान की फसल लहराएं है
ऊपर से पवन हवाएं है
बच्चे कागज़ की नाव बनाते
नाच - नाच के गीत सुनाते
बारिश की बूंदे गिरती झम झम झम
तारे चमके टम टम टम।