एक मसिहा ऐसा! दिव्यालय के पटल की एक गौरवमयी सांझ, संत श्री के नाम!
अतिथि- सौहार्द शिरोमणि डाॅ सौरभ पांडेय
होस्ट- किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह सरोवर
दया, प्रेम, करूणा, सदभावना से ओत- प्रोत विश्व में भाईचारा और प्रेम के अग्रदूत, जिनके लिए ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु, जीजस सब एक हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हम मनुष्यों ने इन्हें अलग - अलग नाम व धर्म का जामा पहना दिया और यही आज मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन हुआ है। इसी धर्म रूपी दुश्मन और ईर्ष्या रूपी खाई को पाटने का वीणा उठाया हैं हमारे संत शिरोमणि जी ने, ये हमेशा कहते हैं कि , " वाहेगुरु, जीजस आपका नाम अल्लाह सबको सनमती दे भगवान"। सर्व धर्म सदभाव की भावना रखने वाले हमारे आज के मेहमान संत सौहार्द शिरोमणि श्री सौरभ पांडेय।
प्रश्न- आप दैनिक समाचार पत्र स्वतंत्र पत्र जनतंत्र के प्रबंध संपादक, संपादन में कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर- जैसा कि सभी जानते है कि आज के समाज में तमाम विसंगतियाँ और भ्रांतियां फैली हुई हैं और आज के दौर में जो न्यायप्रणाली है, वह भी बहुत लचर है। कहीं कोई घटना घटित हो तो पुलिस पहुंचती तहकीकात करती है। फिर एफआईआर दर्ज किया जाता है। जबकि एक रिपोर्टर जीरो ग्राउंड से रिपोर्टिंग करता है और वह मामला दूध और पानी की तरह खंगाल देता है। फिर प्रकाशन से पहले वही जब प्रधान संपादक के हाथों गुजरता है, तो काट - छांट शुरू होती है। दर असल हमारे पाठक बंधु हैं, इन्हें तो दसों तरह के रस्सास्वादन का आनंद चाहिए। तो उसी के हिसाब से अपनी पत्रकारिता के साथ न्याय करते हुए सत्य को ही जनता तक पहुचाने का भरपूर प्रयास किया जाता है।
प्रश्न- आपके अनुसार साधू की परिभाषा क्या है?
उत्तर- इन दिनों गेरुआ वसन, तिलक, जटाजूट का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, या यूँ कह लिजीए की यह अब जीविकोपार्जन का आसान तरीका भी हो गया है। लेकिन सही मायने में, जो समाज से दूर हिमालय की तलहटी में ध्यान मग्न हो साधना करें, साधु केवल वही नहीं कहलाते, अपितु जो दिनरात मानवता की सेवा निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं, जो धर्म- कर्म का पालन करते हुए, परहित सेवा में स्वंय को समर्पित कर, अपने जिह्वा और इंद्रियों पर काबू कर जीवन के पथ पर अग्रसर हैं, वे साधु कहलाने के हकदार हैं। जिनके हृदय से ईश का वास है, जो मानवता के सजग प्रहरी हैं, वे साधु हैं।
प्रश्न- आप धराधाम इंटरनेशनल के प्रमुख हैं तो ये धराधाम शब्द का अर्थ बताएं?
उत्तर- इस धरती पर लह सबसे अनुपम स्थान जहाँ सारे धर्मों के धर्म स्थल उसने जुड़े चिन्ह सब एक छत के नीचे स्थापित होंगे या यूँ कह लिजीए की आने वाले वक्त का यह आठवाँ अजूबा, जो सौहार्द, प्रेम का संदेश देगा, जिसकी नीवं अबोध बच्चों, धर्म गुरुओं और सिनेअभिनेता राजपाल यादव जी के कर कमलों द्वारा डाला गया है। यहाँ मैं बताना चाहता हूँ कि यह धराधाम, उतर प्रदेश के शहर गोरखपुर के ग्राम भस्मा - डवरपार में स्थित है,
परिसर में धराधाम निर्माणाधीन अवस्था में है। यह वह अद्भुत पुण्यपुंज परिसर है जिसमें सभी धर्मों के आस्था स्थल मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर आदि एक ही परिसर में होगें। जोकि विश्व शांति और आपसी प्रेम और सद्भावना के संवाहक हैं।
प्रश्न-राजपाल जी आप पर फिल्म बनाने वाले हैं, तो उसमें हीरो का रोल आप ही करेंगे या कोई दूसरा?
उत्तर- मेरे विचारों और सामाजिक क्रिया कलापों से अति प्रभावित राजपाल जी ने मुझपर फिल्म बनाने की अनुमति ली और इसमें मेरा किरदार भी वही नाभाएंगे बस मुझे उनका सहयोग करना है।
प्रश्न- सुना है कि 2009 में आपको मनीक्राइसेस हुआ तो वो क्या था और उसमें से आप कैसे उबरे?
उत्तर- जी हाँ! 2009 में मैंने एक फिल्म बनाई थी, जिसे लेकर जब मैं मुंबई सेंसर बोर्ड पहूँचा तो वाइरस के कारण मेरी फिल्म प्रमोट नहीं हो पाई जिसके निर्माण में मैंने अपना सब कुछ लगा दिया था, और उस समय मैं थोड़ा हतोत्साहित हुआ। फिर मेरे पिता जी के शब्दों ने वो शब्द भी मैं अपने पाठक बंधुओ से बताना चाहता हूँ," अगर तेज तूफान और ओलावृष्टि में फसल नष्ट हो जाए तो क्या किसान खेती छोड़ देता है, या उस खेत को बेच देता है?" पिता के इन शब्दों से मेरी चेतना जगी मुझमें उर्जा का संचार किया और मैं पुनः नव निर्माण के लिए संकल्पित हो नये राह को चुन नौकरी की सारे ऋण चुकाए और स्वयं को पुनः स्थापित किया। आज मैं डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाता हूँ, जिससे समाज को नई दिशा मिले और दशा भी सुधरे, अभी हाल ही में मैंने कन्या भ्रूण, कोरोना पर डाक्यूमेंट्री बनाई जिसे बहुत सराहना मिली, फिलहाल हम आज के समाज के सबसे मार्मिक पहलू पर डाक्यूमेंट्री बना रहे हैं, " वृद्धाश्रम " जो जल्द ही रिलीज होगी।
प्रश्न- आज के युवा वर्ग को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर- धरा पावनी है करो पूण्य कुछ तो! मानव धर्म का अनुसरण करें, आप आईएएस, पीसीएस बने न बने पर आप एक भले मानव जरूर बनें। मात- पिता, देश और समाज के गौरव बने अभिशाप नहीं।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।