रचना: कुंदन कुमार (न्यू जगनपुरा पटना)
/// जगत दर्शन न्यूज़
"मैं बचपन में, रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ता था। मेरे प्रिय कवि भी है वो। मैं 12वी 2014 में पास किया, लेकिन मैं कुछ किया नही। बड़ी आसानी से 6 साल बर्बाद दिया मैंने। फिर एक दिन घर से प्रेसर आई कमाने के लिए। मैं कमाना नही चाह रहा था। छोटा मोटा दुकान खोल लिया। फिर दो साल आसानी से बर्बाद किया। 2022 की नवम्बर दिसंबर में खान सर और ओझा सर की विडियो देखने लगा। मैं मोटिवेट हुआ उन लोगो से। मैं बहुत दिन सोचा। क्या करू, क्या नही? एक दिन एका एक मेरे दिमाग में आया कविता लिखने को। शुरू में बहुत कठिन लगा। लिखते लिखते आसान लगने लगा। बहुत सारी तकलीफे आई, हार ना माना और मैंने 3 महीने में 1000 कविता लिख दिया।"- कुंदन कुमार
* 1 *
गरीबी के दर्द जानते हो
फिर मोबाइल क्यू मागते हो?
दो चार, पैसे कमाने के लिए
पुरी दिन काम, करनी पड़ती है।
चन्द पैसे मिलते है तो,
उसी से घर, चलानी पड़ती है।
गरीबी के दर्द जानते हो
फिर मोबाइल क्यू मागते हो?
एक अकेला कमाने वाला,
चार पाच बैठ कर, खाने वाला,
तुझे कुछ समझ, नही आती,
दूसरो के देख, क्यू कानते हो?
गरीबी के दर्द जानते हो!
फिर मोबाइल क्यू मागते हो?
रूस कर क्या, फायदा?
रो रो कर, बुरा हाल कर लिए हो।
कर्ज मे कराहती, ज़िन्दगी है।
10 रुपये कि ठिक नही,
हजारो रुपये मानते हो।
गरीबी के दर्द जानते हो।
फिर मोबाइल क्यू मागते हो?
अभी पढ़, काम क्यू करना चाह रहे हो?
अपनी पैर पे, कुल्हाड़ी क्यू मार रहे हो?
तुम्हें हँसना-बोलना खेलना चाहिए,
पापा तो कुछ किए नही,
तुम्हें तो, कुछ करनी चाहिए?
छोड़ दो जिस अपनी,
खाने कि लाले पड़े है
गरीबी के दर्द जानते हो
फिर मोबाइल क्यू मागते हो?
* 2 *
हम इतना दवा खाऐगे
बोलए हम कहाँ जाऐगे?
हम इतना दवा खाऐगे
जल्द ही बुढ़ा हो जाऐगे
जब हमे दवा कि गर्मी
बुढ़ापे मे असर करेगी
बोलिए हम कहाँ जाऐगे
उस समय,
अपनो को ही नही भाऐगे
जब हम लोथ हो, जाऐगे
उस समय कोई, सहारा ना होगा
भूख लगी होगी, कोई खाना ना देगा
इतना दवा खाऐगे
जब हमे दवा कि गर्मी
बुढापे मे असर करेगी
बोलिए हम कहाँ जाएंगे?
उस समय प्रभू के, गाना गाऐगे
हमारे ही लोग, हमे ही टोपी पहनाऐगे
उस समय ना कुछ होगी
ना कोई आ कर, करेगा
इतना दवा खाऐगे
जब हमे दवा कि गर्मी
बुढापे मे असर करेगी
बोलिए हम कहाँ जाऐगे
जब दुख होगी तो, खुद के आसु बहाऐगे
हर समय हर वक्त, खुद को पछताऐगे
ज़िन्दगी हमे कोई, कसर ना छोड़ेगी
अपने हमारे हमी से,मुह मोड़ेगे
इतना दवा खाऐगे
जब हमे दवा कि गर्मी
बुढापे मे असर करेगी
बोलिए हम कहाँ जाऐगे।
* 3 *
छापने से क्या मिलेगा
समझो लिखो,समझो लिखो
पढना है तो,मन लगा कर पढो
दुसरो पे निर्भर,नही रह कर
ज़िन्दगी कि चढाई, खुद चढो
शाम मे,रोज क्या करते हो
इस पन्ना से, उस पन्ना मे उतार लेते हो
छापने से क्या मिलेगा
समझो लिखो,समझो लिखो
बार बार लिखो पढो
ज्यादा याद नही करनी परेगी
अगर ऐ बात समझ लीया
पीछे नही ,हर दम आगे बढोगे
सुनो मेरी बात,छापा छापी नही करो
छापने से क्या मिलेगा
समझो लिखो, समझो लिखो
ईधर-ईधर रहने से, अच्छा है
जाकर रिविजन करनी चाहिए
जो समझ मे नही आती,तुम्हे
टियुशन मे जाकर,पुछनी चाहिए
लेकिन ऐसा करोगे नही
पुछने मे तुम्हें, शर्म आऐगी
मेरी बात मानो
छापने से क्या मिलेगा
समझो लिखो,समझो लिखो
* 4 *
कोरोना बार बार
आ क्यू रही है
पापा ऐ, बिमारी कैसी है
किसी को,पकरता तो
क्यू किसी को, पता नही चलती
इसी करन से, अनजाने मे
पूरे परिवार को, पकर लेता है
पापा ए बिमारी,जा क्यू नही रही है
कोरोना बार बार,आ क्यू रही है
बहुत लोग को,मार डाला है
और कितनो को मारेगा
कितने लोगो को पकर लिया है
और कितनो, को पकरेगा
हर साल मे, आ जा रहा है
पापा ए बिमारी, जा क्यू नही रही है
कोरोना बार बार, आ क्यू रही है
कुछ समझ मे, नही आ रही है
कैसी ऐ बिमारी है
लोगो कि, एक छुअन से
प्रवेश कर, जा रही है
क्या कोई, खोज नही निकली है
पापा ए बिमारी, जा क्यू नही रही है
कोरोना बार बार, आ क्यू रही है
सुई ले रहे है,लोग भी तो
फिर भी लोगो को, पकड़ ले रहा
कैसी ऐ बिमारी है
क्यू आई, महामारी है
लोगो को क्यू,जकर ले रही
पापा ए बिमारी,जा क्यू नही रही है
कोरोना बार बार,आ क्यू रही है
* 5 *
छोटे छोटे पेड़ लगाओ
Free मे आक्सीजन पाओ
दिक्कत क्या है,दिलदार तेरे को
एक दिन प्रकृतिक,देगा मार तेरे को
पेड़ को काटते क्यू हो
काटने से अच्छा है,पेड़ लगाना चहीए
छोटे छोटे पेड़ लगाओ
Free मे आक्सीजन पाओ
प्रकृति कि दुश्मन,क्यू बनते हो
जो तुझे बिरासत मे मिली है
चंन्द पैसे के लिए,
पेड़ को काटते क्यू हो
काटने से अच्छा है,
पेड़ लगाना चहीए
छोटे छोटे पेड़ लगाओ
Free मे आक्सीजन पाओ
सब यहाँ मौजूद है
काटने से रोके, किसी मे ना गूद है
आपकी जरूरत है तो,
पेड़ काट दे रहे हो
पेड़ वही क्यू,नही लगाते हो
काटने से अच्छा है,
पेड़ लगाना चहीए
छोटे छोटे पेड़ लगाओ
Free मे आक्सीजन पाओ
* 6 *
जीजा मै पिजा खाउगा
देखो कर दी खोज
वहाँ है,डोमिनोज
पैसे नही है,नही जाउगा
जीजा मै पिता खाउगा
मुझे खिचिए नही,
हाथ मिसिए नही
खरीद दीजिए,
मुझे खाने को मन है
पैसे नही है, नही जाउगा
जीजा मै पिता खाउगा
नही आप झूठ, बोल रहे है
मार के, पउआ डोल रहे है
मुझे खाना है, खरीद दिजिए
पैसे नही है, नही जाउगा
जीजा मै पिता खाउगा
देखो हमारी,
उतनी हैसियत नही है
वहाँ जा सकु
उतनी बड़ी सकसियत नही है
कुछ भी कीजिए,
हमे खरीद कर दीजिए
पैसे नही है,
नही जाउगा
जीजा मै पिता खाउगा
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