दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार!
अतिथि : श्वेतांबर साध्वी शमा जी
होस्ट : किशोर जैन
रिपोर्ट : सुनीता सिंह "सरोवर"
योगी जीवन श्रेष्ठ है, साधक लक्ष्य महान।
त्याग तपस्या ज्ञानरत, सत्य मार्ग पहचान।।
सत्य मार्ग पहचान, विवेकी दुर्लभ होता।
चिंतन शील प्रधान जागता कभी न सोता।।
योग साधना मस्त, नहीं वही मानस रोगी।
सदा करे कल्याण, रहे वही सच्चा योगी।।
प्रश्न: आप कहाँ से हैं और आपने दीक्षा लेना क्यों जरूरी समझा? क्या आप के परिवार में जैन धर्म को मानते है?
उत्तर- मैं हरियाणा के रोहतास जिले की रहने वाली हूँ। वैसे तो मेरा भरा पूरा परिवार है। मेरा परिवार भी जैन धर्म को ही मानने वाला है। यहां तक कि आस-पास के लोग यानि मेरे पडो़सी भी जैन धर्म को ही मानने वाले है।
प्रश्न: आपने जैन धर्म की कब दीक्षा लिया?
उत्तर- वैसे तो कक्षा पंचम के बाद से ही मैं अपने गुरु महाराज के आश्रम में रहने लगी, जहाँ मैंने जैन ग्रंथ धर्म के साथ - साथ अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी। कहते हैं ना मन तो माटी का कच्चा घड़ा है। इसे विचार रुपी अग्नि में तपा कर दृढ़ बनाना पड़ता है और शायद मेरा जन्म ही मानव सेवा और अध्यात्म के लिए हुआ है। मैंने स्नातक के बाद दीक्षा ग्रहण की। वैसे मैंने हिंदी विषय में स्नातक किया है, अभी भी शिक्षारत हूँ।
प्रश्न: आपने दीक्षा परिवार के दबाव में लिया या अपनी मर्जी से?
उत्तर- मेरा रुझान बचपन से ही ईश्वर की ओर था, इसलिए इसके लिए किसी तरह का कोई दबाव नहीं दिया गया, मैने अपनी इच्छा से दीक्षा ग्रहण की।
प्रश्न: क्या दीक्षा लेने के बाद आपको अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी?
उत्तर: नहीं! मैने दीक्षा लेने के बाद भी अपनी शिक्षा जारी रखी। इस समय मैं पढ़ा भी रही हूँ और पढ़ भी रही हूँ।
प्रश्न: केश लोचन कि प्रक्रिया क्यूँ होती है? और कैसे करते हैं?
उत्तर- केश लोचन कि प्रक्रिया यह साल में लगभग दो बार होती हैं। इसमें सर के बालों को बिना कैची और छूरी के ही निकाला जाता है। ये इसलिए जरुरी है क्योंकि हम साध्वी हैं और हमें सौन्दर्य प्रसाधन से दूर रहना पड़ता है। बाल स्त्री का सौंदर्य होता है, इसलिए हमें केश लोचन करना पड़ता है।
प्रश्न: आप मुख पर पट्टी क्यों लगाए रखती है?
उत्तर:- इस धरा पर अनेकों सुक्ष्म जीवाणु होते हैं, जिन्हे हमारे मुख की गर्म वायु भी सहन नहीं होत है। बोलते समय मुख से थूक न निकले इसलिए पट्टी लगाए रखना अनिवार्य है।
प्रश्न: आप आज के समाज को क्या संदेश देना चाहेंगी?
उत्तर: इस धरती पर सभी जीवों को जीने का अधिकार है। हमें किसी को भी कष्ट नहीं पहुचाना चाहिए। इसलिए हमें शुद्ध शाकाहारी भोजन को अपनाना चाहिए। ऐसा हर धर्म में कहा गया है। मानना न मानना ये अपनी श्रद्धा होती है।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मंजिरी निधि 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।