गरल-- सुधा (कविता)
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गरल के बाद ही मिलती है सुधा
ये हमने समुद्र मंथन मे है देखा
हजारों वर्ष पूर्व की है घटना
उस वक्त भी बहे थे तरल कोरोना
चहुंओर मचा था भयंकर हाहाकार
नभ जल थल में मचा था खूब चीत्कार
देव-दानव समस्त जन लगे थे चिंतन मे
ये कैसी तरल रत्न निकला समुद्र मंथन मे ?
वो तरल रत्न था गरल
जिससे नभ जल थल में मचा था हलचल
त्राहिमाम त्राहिमाम की गूँज थी संसार में
इस गरल से कैसे होगा उद्दार हमे ??
फिर हुए एकाएक चमत्कार
देवाधिदेव शिव ने गरल को पी लिये हंसकर
मंथन रहा जारी सागर में
सुधा लिये निकले एक देव गागर मे
हुए समस्त जन प्रसन्न और प्रफुल्लित
विष के बाद ही आता है अमृत
आज कुछ ऐसा ही है हमारे मध्य मे
कोराना वाइरस नामक व्याधि आया है जग में
इससे भी मिलेगी हमे अवश्य ही मुक्ति
समस्त वैज्ञानिक, चिकित्सक लगाये हैं युक्ति
विपदा में ही होता है बुद्धि का विकाश
कोराना वाइरस का होगा अवश्य नाश
फिर होगा चुन्नु कवि का मन आनंदित
विष के बाद ही आता है अमृत।