फागुनी दोहे
/// जगत दर्शन न्यूज़
नूतन - फाग तरंग है, मन में दिया उमंग।
होली में सब संग है, बुड्ढ़े बने मलंग।।
सेल्फी में वानर लगूं,भांग का कुछ कमाल।
बहक गया ये चाल जब,मुख पर उड़े गुलाल।।
गुझिया - पापड़ बनाएं,साली बुलाए घर।
जीजा अतरंगी बने, भूले बलाएं सब।।
भौजी कहे गर्मी बढ़ी,सिकुड़े नस- नस मोर।
रंगो से मजबूत हो,रिश्ते का ये डोर।।
चुनरी मैल व शर्ट फटी,पसीना लिए देह।
यारों के सत्संग में,पनपे फिर से नेह।।
आसा में माता - पिता,ना रहे मन निराश।
नेक इंसान बस बनो,सभी कहे शाबाश।।