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शिवरात्रि का त्योहार
लेखक: राजीव कुमार झा
हमारे हिन्दू धर्म में शिव को महादेव कहा जाता है और उनकी पूजा अर्चना का आदिकाल से प्रचलन रहा है। शिव और शक्ति के ध्यान से राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। शिव सारे संसार के देवता हैं और पार्वती ने काफी तपस्या के बाद उन्हें वर के रूप में पाया था। शिवरात्रि का त्योहार इसी खुशी में मनाया जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में शिव और पार्वती का विवाह संपन्न होता है। दिन में देश के शहरों और गांवों में शिव बारात भी निकाली जाती है। पार्वती को गिरिराज यानी हिमालय की पुत्री कहा जाता है। शिव संहार के देवता हैं और सृष्टि में जीवन चक्र के नियंता माने जाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबी उनकी काफी श्रद्धा से उनकी पूजा अर्चना करते हैं और सावन के महीने में उनका जलाभिषेक करके उन्हें प्रसन्न करने की धार्मिक परंपरा हमारे देश में पर प्रचलित है। भारत के सभी मंदिरों में शिवलिंग स्थापित किए जाते हैं और यहां उनके वाहन नंदी के साथ श्रद्धा से उनकी पूजा होती है। शिव को शंकर के नाम से भी जाना जाता है और शास्त्रों में उन्हें आशुतोष कहा गया है। उनके माथे पर चन्द्रमा विराजमान हैं और अपने गले में वह सर्पमाला धारण करते हैं। वह काल के देवता होने के कारण श्मशान में वास करते हैं और घंटे के नाद से वह आनंदित होते हैं। शिव की प्रतिमाओं में उन्हें ध्यानस्थ देखा जा सकता है। शिवरात्रि के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना होती है और इस दिन लोग व्रत रखते हैं। शिवरात्रि का व्रत महिलाएं असीम आस्था और श्रद्धा से करती हैं। इस व्रत के करने से उन्हें सकल सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सरकारी छुट्टी भी रहती है। हमारे देश के शिव मंदिरों में बद्रीनाथ - केदारनाथ के अलावा देवघर के वैद्यनाथ और वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर की काफी महिमा है। इस दिन यहां शिवभक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है और भगवान शिव की जय जयकार से दिग दिगंत गूंज उठता है।