विश्व मृदा दिवस
आने वाली पीढी के लिए तथा किसानों के लिए मृदा संरक्षण की आवश्यकता एवं उपाय
छपरा (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: आज रविवार को विश्व मृदा दिवस का आयोजन जिला कृषि पदाधिकारी सारण, छपरा के सभाकक्ष में आयोजित किया गया। इस आयोजन में सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण श्री संजय कुमार के द्वारा मंच का संचालन किया गया। जिला कृषि पदाधिकारी (सारण) डॉ केo केo वर्मा द्वारा "आने वाली पीढी के लिए तथा किसानों के लिए मृदा संरक्षण की आवश्यकता एवं उपाय " पर विस्तृत चर्चा की गयी। इस क्रम में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार संतुलित उर्वरक का प्रयोग, समेकित पोषण प्रबंधन, जीरो टिल मशीन का उपयोग, हरी खाद का उपयोग, जैविक खाद का उपयोग, फसल चक्र, पराली प्रबंधन इत्यादि विषयों पर गहन चर्चा की गयी। अपर कृषि निदेशक, बिहार पटना श्री धनन्जयपति त्रिपाठी द्वारा बायोमास की उपयोगिता ढाँचा, मूंग, सनई आदि का व्यापक प्रयोग, किसानों को 4:2:1 के अनुपात में नाइट्रोजन: फास्फोरस तथा पोटाश युक्त उर्वरको का प्रयोग, पी0 एस0 बी0, एजिटोवैक्टर इत्यादि बायो फर्टीलाइजर के प्रयोग की चर्चा की गई। साथ ही साथ यह भी बताया कि किसानों को संतुलित मात्रा में उर्वरको का प्रयोग कर अपने उत्पादकता को बरकरार रखना जरूरी है। इसके लिए सस्टेनेबुल एग्रीकल्चर करने की सलाह दी गई। श्री धनन्जयपति त्रिपाठी अपर निदेशक बिहार, पटना के द्वारा सदर प्रखंड छपरा के किसान श्री राम प्रसाद ठाकुर, श्री अरविंद कुमार, श्री राणा कुमार यादव, श्री बबलू महतो, श्री मुन्ना कुमार, श्री ऋषिदेव राय इत्यादि को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया गया। सहायक निदेशक (रसायन) मिट्टी जाँच प्रयोगशाला के निदेशक डॉ0 दीपक कुमार राय द्वारा विश्व मृदा दिवस के अवसर पर बताया गया कि हमारे प्रयोगशाला में बारह तत्व क्रमश:- पी0 एच0, ई. सी. जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम, सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैंगनीज और कॉपर की जाँच की जाती हैं। प्रखंडों के किसानों के खेत से प्राप्त मिट्टी नमूना को इन बारह पैरामीटर पर जाँच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जाता है। उनके द्वारा बताया गया कि वर्मी कम्पोस्ट/ जैविक खाद का प्रयोग किसानों के लिए बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इसमे सोलह तत्त्व पाये जाते हैं। श्री कुमार द्वारा बताया गया कि मिट्टी बनने में हजारों वर्ष लग जाते है, खराब करने में चंद समय लगते है। उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग, भूमि का कटाव हमारे मृदा संरक्षण को प्रभावित करती है। मिश्रित खेती, समुचित फसल चक्र का प्रयोग, पराली प्रबंधन आवश्यक है। कृषि विज्ञान केंद्र मांझी के वैज्ञानिक श्री सौरभ पटेल द्वारा बताया गया कि मृदा संरक्षण हेतु पारम्परिक खेती एग्रो फॉरेस्ट्री को अपनाने की बात बताई गई। उनके द्वारा बताया गया कि बिहार सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली की योजना चलाई जा रही है। उक्त कार्यक्रम में सहायक निदेशक बागवानी श्री राजू रावत द्वारा गोष्ठी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया जिसमें विभाग के कर्मियों के अलावा सदर प्रखंड के काफी किसानों के बीच में मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया।