नाइट ब्लड सर्वे: 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का रात में लिया जायेगा ब्लड सैंपल
• माइक्रो फाइलेरिया की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लेगी ब्लड सैंपल
• फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान
• प्रत्येक प्रखंड में बनेगा एक-एक स्थायी और अस्थायी साइट
• प्रत्येक स्थल से 300 लोगों का लिया जायेगा नमूना
सारण (बिहार): फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। जिले में फाइलेरिया से बचाव को लेकर प्रत्येक साल सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। जिसके तहत घर-घर जाकर दवा खिलाया जाता है। सर्वजन दवा सेवन अभियान से पूर्व माइक्रो फाइलेरिया का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नाइट ब्लड सर्वे किया जाता है। जल्द में जिले में नाइट ब्लड सर्वे किया जायेगा, इसको लेकर विभाग के द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी है। इस सर्वे का उद्देश्य है फाइलेरिया संक्रमण की वास्तविक स्थिति का आकलन करना ताकि आगामी सर्वजन दवा सेवन अभियान को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह अभियान अगले वर्ष 10 फरवरी 2026 से जिलेभर में संचालित किया जाएगा।
प्रत्येक प्रखंड में बनेगा एक-एक स्थायी और अस्थायी साइट:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत रात्रि रक्त पट संग्रह आवश्यक है। जिले के प्रत्येक प्रखंडों में एक स्थायी (Sentinel Site) एवं एक अस्थायी (Random Site) ग्राम का चयन किया गया है। इसके अतिरिक्त मढ़ौरा और अमनौर प्रखंडों को Pre-TAS (Transmission Assessment Survey) के लिए चयनित किया गया है, जहाँ एक अस्थायी एवं दो उद्देश्यपूर्ण (Purposive) स्थलों से रक्त पट संग्रह किया जाएगा।
प्रत्येक स्थल से लगभग 300 रक्त नमूने लिए जाएंगे:
सर्वेक्षण का कार्य रात 8:30 बजे से प्रारंभ होगा और प्रत्येक स्थल से लगभग 300 रक्त नमूने लिए जाएंगे। इस सर्वेक्षण में 20 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे, जिससे माइक्रो फाइलेरिया परजीवी की उपस्थिति का पता लगाया जा सके। प्रत्येक चयनित स्थल पर पाँच सदस्यीय टीम गठित की जाएगी, जिसमें एक लैब टेक्नीशियन (LT), एक कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO), एक एएनएम, एक आशा कार्यकर्ता और एक अन्य कर्मी शामिल रहेंगे।
क्या है नाइट ब्लड सर्वे और क्यों जरूरी है
फाइलेरिया एक परजीवी जनित रोग है, जो क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलता है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर में जड़ जमा लेता है और वर्षों बाद हाथ-पैरों या जननांगों में सूजन पैदा करता है, जिसे हाथीपांव कहा जाता है। इस बीमारी की सबसे खास बात यह है कि फाइलेरिया के परजीवी रात के समय रक्त में अधिक सक्रिय रहते हैं। इसी कारण रात्रि रक्त पट सर्वेक्षण किया जाता है, ताकि रात के समय लिए गए खून के नमूनों में माइक्रो फाइलेरिया की उपस्थिति का पता लगाया जा सके।
नाइट ब्लड सर्वे के परिणाम से यह तय होता है कि किसी क्षेत्र में संक्रमण की दर कितनी है और वहां दवा सेवन कार्यक्रम को किस स्तर पर चलाया जाना चाहिए। इससे सरकार को यह भी आकलन करने में मदद मिलती है कि पूर्व वर्षों में चलाए गए फाइलेरिया उन्मूलन अभियानों का कितना असर पड़ा है।
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