फाइलेरिया उन्मूलन की जंग में पीएसपी सदस्य फ्रंटलाइन पर, नाइट ब्लड सर्वे को मिल रहा जनसहयोग
सारण (बिहार): सारण जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान इस बार समुदाय आधारित सहभागिता पर केंद्रित हो गया है। रिविलगंज और दिघवारा प्रखंडों में गठित पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म (PSP) अब स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। नाइट ब्लड सर्वे की तैयारी हो या आगामी सर्वजन दवा सेवन अभियान (MDA), पीएसपी सदस्यों की सक्रियता ने फाइलेरिया प्रहार को नई ऊर्जा दी है।
पीएसपी को सीएचओ की अध्यक्षता में गठित किया गया है। इन मंचों में पंचायत प्रतिनिधि, जीविका दीदियां, आईसीडीएस, ग्रामीण चिकित्सक, फाइलेरिया मरीज, समाजसेवी और युवा वालंटियर शामिल हैं। इनका उद्देश्य घर-घर पहुंचकर लोगों की सोच में बदलाव लाना, संदेह दूर करना, और समुदाय को अभियान का सक्रिय भागीदार बनाना है।
नाइट ब्लड सर्वे के महत्व को समझा रहे सदस्य
चयनित गांवों में सीएचओ और पीएसपी सदस्यों द्वारा बैठकों का दौर जारी है। लोगों को बताया जा रहा है कि माइक्रोफाइलेरिया रात में रक्त में अधिक सक्रिय रहते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे बेहद जरूरी है। वर्षों से चली आ रही गलतफहमियों को दूर किया जा रहा है और ग्रामीणों को समझाया जा रहा है कि इसी सर्वे के आधार पर रोग नियंत्रण की रणनीति तय होती है।
पीएसपी के सदस्यों के घर-घर पहुंचने से सर्वे को लेकर सहयोग बढ़ा है। कई जगह लोग स्वयं पूछ रहे हैं कि सर्वे कब होगा और दवा कब मिलेगी।
पीएसपी की भूमिका जागरूकता से कहीं आगे
पीएसपी सदस्यों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से फाइलेरिया पहचान, रोकथाम, लक्षण, एमडीए दवा के महत्व और मरीजों की देखभाल जैसे विषयों पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण का परिणाम अब स्पष्ट दिख रहा है। पंचायत प्रतिनिधि संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान कर सीएचओ को सूचना दे रहे हैं।
पहचाने गए रोगियों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एमएमडीपी किट और यूडीआईडी कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि उन्हें समय पर उपचार, सहयोग और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
समुदाय-आधारित गतिविधियों से बढ़ रहा अभियान का प्रभाव
आईसीडीएस कार्यकर्ता टीकाकरण सत्रों, गोदभराई और अन्नप्राशन कार्यक्रमों में गर्भवती महिलाओं व माताओं को दवा सेवन के महत्व के बारे में जागरूक कर रही हैं।
जीविका दीदियां अपने VO और CLF मीटिंग में महिलाओं से कह रही हैं कि पूरा परिवार दवा खाए तभी फाइलेरिया की चेन टूटेगी।
विकास मित्र और युवा क्लब के सदस्य भी विशेष बैठकों में समुदाय को समझा रहे हैं कि दवा सेवन और सर्वे ही फाइलेरिया उन्मूलन की कुंजी है।
पीएसपी की इन कोशिशों का असर यह है कि कई गांवों में लोगों की मानसिकता तेजी से बदली है। जहाँ पहले दवा को लेकर झिझक थी, वहीं अब लोग स्वयं रात्रि सर्वे में शामिल होने और एमडीए अभियान में सहयोग देने को तैयार हैं।
स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि इस बार नाइट ब्लड सर्वे का कवरेज 100 प्रतिशत हो। पीएसपी की मजबूत पकड़, सामाजिक विश्वास और जमीनी मेहनत ने इस लक्ष्य को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है।
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