छपरा और मांझी में रोचक मुकाबला: खेसारी लाल यादव से बढ़ी छपरा की गर्मी, मांझी में रणधीर सिंह बनाम राणा प्रताप की टक्कर तीखी
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: बिहार विधानसभा चुनाव-2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, प्रदेश का माहौल चुनावी रंग में रंग चुका है। हर दल के नेता अपने प्रत्याशियों के समर्थन में जनता के बीच उतर चुके हैं। प्रचार-प्रसार जोरों पर है, और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। इस बार सबसे दिलचस्प मुकाबले छपरा और मांझी विधानसभा क्षेत्रों में देखने को मिल रहे हैं।
छपरा विधानसभा में पहले मुकाबला भाजपा प्रत्याशी छोटी कुमारी और निर्दलीय प्रत्याशी रेखा गुप्ता के बीच माना जा रहा था, लेकिन जैसे ही राजद ने भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को मैदान में उतारा, समीकरण पूरी तरह बदल गए। अब छपरा की राजनीतिक लड़ाई में सबकी निगाहें खेसारी लाल यादव पर टिक गई हैं। प्रचार के दौरान भोजपुरी फिल्मी अंदाज़ और भीड़ के उत्साह ने चुनावी माहौल को और भी रोमांचक बना दिया है।
वहीं मांझी विधानसभा एक तरह से राजनीतिक रणभूमि बन चुकी है। यहां एनडीए समर्थित जदयू प्रत्याशी रणधीर सिंह और निर्दलीय प्रत्याशी राणा प्रताप सिंह (डब्लू सिंह) के बीच कड़ी टक्कर है। रणधीर सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र हैं और जनता के बीच उन्हें “सहानुभूति फैक्टर” का लाभ मिल रहा है। दूसरी ओर, डब्लू सिंह कई वर्षों तक भाजपा से जुड़े रहे, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज़ होकर उन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। दोनों उम्मीदवारों के पास मजबूत जनाधार है और दोनों ने अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है।
हालांकि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, आरोप-प्रत्यारोप भी तेज होते जा रहे हैं। रणधीर सिंह पर “मांझी से बाहर के होने” का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि डब्लू सिंह पर “गरीबी का नाटक करने” का तंज कसा जा रहा है।
इस बीच निवर्तमान विधायक सत्येंद्र यादव (माकपा) भी जनता के बीच सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने अपने जनसंपर्क अभियान को धार दे दी है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में उनके व्यवहार और विकास कार्यों से जनता संतुष्ट नहीं है।
डुमरी पंचायत के भाजपा नेता प्रोफेसर शिवाजी सिंह ने कहा कि “रणधीर सिंह जनसंपर्क में काफी आगे चल रहे हैं। जनता ने माकपा विधायक डॉ. सत्येंद्र यादव को नकार दिया है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी राणा प्रताप सिंह हवा में हैं। इस बार मांझी की जनता रणधीर सिंह को विधानसभा भेजने जा रही है।”
वहीं, पूर्व मुखिया हीरा लाल यादव ने कहा कि “सत्येंद्र यादव ने अपने कार्यकाल में पंचायत की जनता की उपेक्षा की है। वे पांच साल में एक बार भी डुमरी नहीं आए। जनता अब बदलाव चाहती है और इस बार माकपा विधायक व निर्दलीय प्रत्याशी दोनों को हराकर सबक सिखाएगी।”
मांझी और छपरा — दोनों ही सीटों पर इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प और हाई-वोल्टेज होने वाला है, जहां एक तरफ स्टार पावर का असर है, तो दूसरी ओर स्थानीय असंतोष और विकास के मुद्दे भी प्रमुख हैं।
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