भारत को मिला नया उपराष्ट्रपति : सी. पी. राधाकृष्णन भारी मतों से विजयी
नई दिल्ली 09 सितंबर 2025
देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर अब नई ऊर्जा और नए चेहरे का आगमन हो चुका है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे सी. पी. राधाकृष्णन को भारत का नया उपराष्ट्रपति चुन लिया गया है। उन्होंने सोमवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया ब्लॉक’ के उम्मीदवार एवं पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुधर्शन रेड्डी को बड़े अंतर से पराजित किया।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार राधाकृष्णन को 452 मत प्राप्त हुए, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। इस तरह राधाकृष्णन ने 152 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
राधाकृष्णन का राजनीतिक व सामाजिक सफर
सी. पी. राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा यहीं से पूरी की और पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हुए उन्होंने राजनीति की ओर कदम बढ़ाया और भारतीय जनता पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
वे दो बार कोयंबटूर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं और संसद में अपनी सरल छवि व साफ-सुथरे कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। भाजपा संगठन में उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं और लंबे समय तक दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करने का कार्य किया।
हाल के वर्षों में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहाँ उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा, संस्कृति और ग्रामीण विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया।
उपराष्ट्रपति पद का महत्व
भारत में उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस दृष्टि से यह पद न केवल संवैधानिक रूप से अहम है, बल्कि संसदीय कार्यप्रणाली को सुचारु रूप से चलाने में भी केंद्रीय भूमिका निभाता है।
जीत के बाद माहौल
राधाकृष्णन की जीत की घोषणा होते ही एनडीए खेमे में उत्साह और खुशी की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें बधाई दी। विपक्ष ने भी लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हुए उन्हें शुभकामनाएँ दीं, हालांकि विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि उनका संघर्ष लोकतंत्र की मजबूती के लिए जारी रहेगा।
सी. पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद पर पहुँचना न केवल दक्षिण भारत के लिए गौरव की बात है, बल्कि उनके लंबे राजनीतिक व सामाजिक जीवन का सम्मान भी है। अब सबकी निगाहें इस ओर होंगी कि वे राज्यसभा की कार्यवाही को कितनी कुशलता और निष्पक्षता से संचालित करते हैं और किस तरह लोकतांत्रिक परंपराओं को आगे बढ़ाते हैं।