उन्मेष में भोजपुरी काब्य पाठ के लिए हिन्दी साहित्यकार के बुलावे का कड़ा विरोध
-भोजपुरी साहित्य सम्मेलन ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष को भेजा अपना विरोध पत्र
-भोजपुरी भाषा और साहित्य के साथ क्रूर मजाक जैसी प्रवृति पर अंकुश लगाने की मांग
///जगत दर्शन न्यूज
सारण (बिहार): भोजपुरी साहित्य सम्मेलन ने साहित्य अकादमी की पटना में आयोजित उन्मेष कार्यक्रम में भोजपुरी काब्य पाठ के लिए हिन्दी साहित्यकार को आमंत्रित करने पर कड़ा विरोध जताया है। सम्मेलन के अध्यक्ष ड. ब्रजभूषण मिश्रा और महामंत्री डा. जयकांत सिंह जय ने इस आशय का विरोध पत्र साहित्य अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष को भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि साहित्य अकादमी की भोजपुरी भाषा और साहित्य की मान्यता को लेकर घोर उपेक्षा का भाव सर्वविदित रहा है। अब इसके साथ क्रूर मजाक कर इसकी स्थिति को और हास्यास्पद बनाने का षड्यंत्र चल रहा है।
अनिल सुलभ का भोजपुरी से दूर-दूर तक संबंध नहीं
विरोध पत्र में अध्यक्ष और महामंत्री ने कहा है कि पिछले वर्ष दिल्ली और इसबार पटना में आयोजित उन्मेष कार्यक्रम में साहित्य अकादमी द्वारा भोजपुरी कवि के रूप में अनिल सुलभ जी को आमंत्रित किया गया। सुलभ जी का न भाषा-भाषी के रूप में और न ही साहित्यकार के रूप में भोजपुरी से कोई संबंध है। वे बेशक बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष हैं और हिन्दी साहित्यकारों का संगठन चलाते हैं। उनकी मातृभाषा बज्जिका या मैथिली हो सकती है। वे हिन्दी में लिखते हैं।
डा. मिश्रा और डा. जय ने आगे कहा है कि संगठन चलाने के कारण हमलोगों को पता है कि कौन लोग भोजपुरी के साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। सुलभ जी का भोजपुरी के साथ दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्हें साहित्य अकादमी के कार्यक्रम में भोजपुरी कवि के रूप में आमन्त्रित करना न केवल भोजपुरी की स्थिति को हास्यास्पद बनाना है बल्कि सुलभ जी की स्थिति को भी हास्यास्पद बनाना है। भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के इन दोनों शीर्ष पदाधिकारियों ने साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की मांग की है।