श्रीमद्भगवद् गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है!
श्रीमद्भगवद् गीता की वर्तमान समय में प्रासंगिकता
✍️डॉ. ऋषिका वर्मा
भागवत गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है जो हर युग में प्रासंगिक रहा है। यह महाभारत के युद्धक्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है, परंतु इसके विचार आज भी उतने ही प्रभावशाली हैं जितने उस समय थे। गीता की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह किसी एक धर्म, जाति या काल की सीमा में नहीं बंधती, बल्कि समस्त मानवता को जीवन की जटिलताओं में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
आज का युग अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक, तनावपूर्ण और भौतिकतावादी हो चुका है। हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक संघर्षों से जूझ रहा है। ऐसे समय में गीता का सन्देश “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। यह विचार व्यक्ति को निष्काम कर्म की प्रेरणा देता है, जिससे वह बिना फल की चिंता किए अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करता है। यही सिद्धांत आज की कार्यशैली में संतुलन बनाए रखने और मन की शांति पाने का आधार बन सकता है।
गीता आत्मा की अमरता, धर्म का पालन, विवेक, संयम, और आत्म-साक्षात्कार की बात करती है। ये सभी बातें आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जो बाह्य सुख-सुविधाओं की दौड़ में आत्मिक शांति को खो बैठी है। गीता व्यक्ति को आंतरिक शक्ति देती है, उसे यह समझाती है कि सच्चा सुख बाहर नहीं, भीतर है।
वर्तमान समय में जब नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, तब गीता का “स्वधर्मे निधनं श्रेयः” जैसे सिद्धांत समाज को पुनः अपने कर्तव्यों की ओर लौटने की प्रेरणा देते हैं। यह संदेश केवल व्यक्ति-स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व में भी नैतिक चेतना का संचार कर सकता है। गीता का ज्ञान नेतृत्व, कर्तव्य, और विवेक में संतुलन का पाठ पढ़ाता है, जो किसी भी संगठन या राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक है।
युवाओं के लिए गीता एक मार्गदर्शक बन सकती है जो उन्हें उद्देश्य, दिशा और आत्म-विश्वास प्रदान करती है। आज का युवा वर्ग जब दिशा भ्रमित होता है या आत्म-संदेह से ग्रस्त होता है, तब गीता का ज्ञान उसे अपने भीतर झांकने और आत्मा की शक्ति को पहचानने का मार्ग दिखाता है। गीता आत्म-प्रेरणा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
इस आधुनिक युग में गीता को केवल एक धार्मिक ग्रंथ मानना उसकी व्यापकता को सीमित करना होगा। यह मानवता के लिए एक सार्वकालिक और सार्वदेशिक ग्रंथ है जो हर व्यक्ति को अपने जीवन की जटिलताओं को समझने और सुलझाने की प्रेरणा देता है। यदि गीता के विचारों को जीवन में अपनाया जाए, तो व्यक्ति न केवल आत्मिक रूप से समृद्ध हो सकता है, बल्कि समाज में भी शांति, समरसता और नैतिकता की पुनर्स्थापना संभव हो सकती है।