जिले के 5 आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफार्म का गठन, फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को मिलेगी गति
• फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में बढ़ेगी सामुदायिक भागीदारी
• फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग करेंगे प्लेटफार्म के सदस्य
• सीएचओ की अध्यक्षता में पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफार्म गठित
सारण (बिहार): फाइलेरिया (हाथीपांव) एक परजीवी जनित बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है और लंबे समय तक इलाज न मिलने पर स्थायी विकलांगता का कारण बन सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहचान और निरंतर देखभाल सबसे बड़ी चुनौती रही है। सारण जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अब सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष पहल शुरू की है। इसी क्रम में दिघवारा प्रखंड के पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफार्म (रोगी हितधारक मंच) का गठन किया गया है। इस मंच का गठन संबंधित आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) की अध्यक्षता में किया गया है। स्थानीय पंचायत के मुखिया के मार्गदर्शन में यह मंच राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जागरूकता बढ़ाने, मरीजों की पहचान करने, उनकी ग्रेडिंग करने, 12 दिन की दवा एवं एमएमडीपी कीट उपलब्ध कराने और बीमारी के प्रसार को रोकने की दिशा में कार्य करेगा। रोगी हितधारक मंच के गठन में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के द्वारा तकनीकि सहयोग किया जा रहा है।
पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर मंच गठित
1. हराजी
2. सैदपुर
3. शीतलपुर
4. बस्ती जलाल
5. इस्मैला
मंच की संरचना और जिम्मेदारियां
• अध्यक्ष: संबंधित आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO)
• मार्गदर्शन: स्थानीय पंचायत के मुखिया
• सदस्य: वार्ड पार्षद, विकास मित्र, शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी, समाजसेवी और स्वयंसेवी
मुख्य कार्य:
• फाइलेरिया मरीजों की पहचान और उनकी ग्रेडिंग
• 12 दिन की दवा वितरण
• एमएमडीपी कीट उपलब्ध कराना
• नियमित फॉलोअप और घर-घर जागरूकता अभियान
• संक्रमण रोकने और स्वच्छता बढ़ाने के उपाय सिखाना
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को मिलेगी गति
इस अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों का सहयोग सराहनीय रहा। हराजी पंचायत के मुखिया भोला कुमार, सैदपुर वार्ड पार्षद पिंटू कुमार शर्मा, शीतलपुर मुखिया गायत्री देवी, बस्ती जलाल की गुजन देवी और इस्मैला के गुडेश्वर सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके चलते हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित हो पाई। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस तरह के सामुदायिक प्लेटफार्म से न केवल फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को गति मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का मकसद वर्ष 2030 तक इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त करना है। जिले में इस दिशा में पहले भी दवा वितरण और माइक्रोफाइलेरिया सर्वेक्षण जैसे प्रयास हुए हैं, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि स्थानीय हितधारकों की भागीदारी से अभियान को और गति मिलेगी।