अजब ये तेरा माया है.....
कोटिन जीव जियत जग माहीं, सब पर तेरी छाया है....
सब में तू है, तुझमें सब हैं, अजब ये तेरी माया है....
तू सागर के लहरों में है, निर्जन वन वीरानों में
मरुभूमि के मरु में तू हीं, हरे भरे मैदानों में
जीवन के हर रुप में केशव तेरा रुप समाया है
सब में तू है, तुझमें सब हैं अजब ये तेरी माया है....
सब हैं तेरे दास प्रभु तू सबका सच्चा स्वामी
सब जीवों पर दया करो, अब हे उर अन्तर्यामी
एक दूजे से जुड़े हैं सारे, रचना अजब रचाया है
सब में तू है, तुझमें सब हैं अजब ये तेरी माया है....
तुझसे सृष्टि तुझमें सृष्टि, तू सृष्टि का भूप है
सृष्टि के कम-कण में बसती, तेरी छवि अनूप है
जिसने जहाँ जिस रुप में ढूँढा, उसी रुप में पाया है
सब में तू है, तुझमें सब हैं अजब ये तेरी माया है....
कान रहित नित् सुनता वाणी, पग बिन दौड़ लगाये
हाध रहित हर काम सजाये, बिन मुख भोजन पाये
निराकार अविनाशी श्रीं हरि, सबसे नेह लगाया है
सब में तू है, तुझमें सब हैं अजब ये तेरी माया है....
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, माँझी, सारण, बिहार, 7250299200