पायल (कहानी)
✍️ सीमा कुमारी (सहायक शिक्षिका, केपीएस गोबरही)
अंशु की जब शादी हुई थी तब उसके ससुराल में सब खुश थे, कारण वह अपने गांव और घर में सबसे पढ़ी लिखी आई थी। शादी के कुछ महीने बाद वह पति के साथ बाहर चली गई। पर उसी बीच सासु मां का देहांत हो गया और फिर वापस उसे ससुराल जाना पड़ा। घर में सबका यही कहना था कि यही रहकर जिंदगी की गाड़ी चलाएं। फिर क्या था, अंशु के पति ने खेती-बाड़ी का काम चुन लिया, चूंकि वह पढ़ा लिखा नहीं था और खेती को छोड़कर दूसरा कोई काम उसे आता भी नहीं था। अंशु का पति विजय अंशु से बहुत अधिक स्नेह करता था, समय बीता और बच्चों से घर भर गया।
एक बार पूरे साल फसल सही नहीं हुई, पटीदार के बच्चे बड़े हो गए थे और विजय अंशु के बच्चे अभी छोटे। घर में अफरातफरी मची रहती, अक्सर अंशु के बच्चे जेठ जी के बच्चों से पीट जाते और इस पर अंशु अपने पटीदार से भिंड़ी रहती,वही विजय गुमसुम रहता। इस बात से अंशु चिढ़ जाती और फिर दुनिया का सारा गुस्सा अपने पति पर उतारती, कभी कभी बच्चों की भी पिटाई जमकर करती और फिर भोजन पानी सबका बंद हो जाता। फिर विजय उठता,सबका भोजन बनाता, अंशु के हिस्से का छोड़कर बच्चों के साथ खाकर खेत पर चला जाता।
एक बार फसल सही नहीं हुई तो मजबूरी में सरकार की राशन योजना वाली चावल विजय उठा लाया। अंशु ने एक दिन पहले ही पटीदार से बच्चों की खातिर झगड़ा किया था और विजय ने किसी के पक्ष में जब कुछ नहीं कहा तो अंशु ने विजय से भी झगड़ा किया फिर बच्चों की पिटाई। विजय ने भोजन बनाया और अंशु के हिस्से का छोड़कर बच्चों के साथ खाकर बाहर चला गया। अंशु उठी और बाकी भोजन लेकर खाने लगी। बासमती चावल खाने वाला मुंह मोटे चावल के दाने से इंकार कर दिया, उसने मुंह बिचकाया और जंगले के पास जाकर सारा भोजन डाल दिया और थोड़ा सा पानी पीकर सो गई।रात में विजय ने उसे उठाया और सबके लिए परोसे गए भोजन में उसे भी बैठा लिया।
विजय ने कहा तुने सुबह भोजन क्यों नहीं किया, मुझे पता है तुझे भोजन पसंद नहीं आया था, तुम्हें कैसे पता चला, अंशु के ऐसा कहने पर वह बोला मैंने कुत्तों को जंगले के पास खाते हुए देखा था। मैं तेरे लिए कुछ लाया हूं, इतना कहकर उसने एक सुंदर सी पायल अंशु के हाथ में पकड़ा दी। यह कहां से लाया, तेरे पास तो पैसे भी नहीं थे,अरे अनाज बेचकर लाया हूं, पर घर में तो अनाज नहीं था, फिर बेचा कहां से। कहीं तुने चोरी तो नहीं करी
इस पर विजय मुस्कुरा कर बोला पहले की कोठी में कुछ मकयी और सरसों थे वहीं बेचा है। और हां तेरे लिए बड़का भैया से कहकर बासमती चावल भी मंगा दिया है कल से तु वही बनयियो।तु क्यों झगड़ती है पट्टीदारों से, तेरे बच्चे के वे दुश्मन थोड़े ही है। मैंने देखा था बहुत दिनों से तु बिना पायल के थी, मुझे तेरी रूनझुन बहुत पसंद है, इतना कहकर विजय ने पायल अंशु के पैरों में पहना दी।