अरुणेश नीरन को भोजपुरी साहित्य विकास मंच ने दी श्रद्धांजलि, कहा – “भोजपुरी की एक सदी खत्म हो गई”
कोलकाता: भोजपुरी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान अरुणेश नीरन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भोजपुरी साहित्य विकास मंच की ओर से एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देशभर से जुड़े साहित्यकारों, चिंतकों और कलाकारों ने उन्हें अपनी भावनाओं और विचारों के माध्यम से याद किया। सभा की अध्यक्षता मंच के केंद्रीय कोर कमेटी अध्यक्ष डॉ. सुधाकर तिवारी ने की।
श्रद्धांजलि देते हुए डॉ. सुधाकर तिवारी ने कहा, “घर छोड़के जइबऽ तऽ भोजपुरी छूट जाई”, यह अरुणेश नीरन जी की वह सोच थी, जिसने उन्हें हमेशा अपने माटी से जोड़े रखा। उन्होंने बड़े पदों को ठुकराकर भोजपुरी के लिए जीवन समर्पित कर दिया। डॉ. विमलेश त्रिपाठी ने उन्हें भोजपुरी की वह थाती बताया जिसकी भरपाई असंभव है।
डॉ. शैलेश सिंह ने उन्हें “भोजपुरी के नामवर सिंह” की संज्ञा दी और कहा कि उनकी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें। प्रकाश प्रियांशु, जिन्होंने सभा का संचालन किया, ने कहा कि अरुणेश नीरन के निधन से भोजपुरी साहित्य की एक सदी का अंत हो गया है। उनकी पुस्तक ‘भोजपुरी वैभव’ को उन्होंने साहित्य की अनमोल संपदा बताया।
इस सभा में महेश प्रसाद (छपरा), अभिषेक श्रीवास्तव (पटना), प्रसिद्ध संगीतकार गुड्डू गुलशन, जतिन शुक्ला, प्रिया श्रीवास्तव, सुनील कुमार सिंह (हुगली), अशोक कुमार पांडेय (कोलकाता), विनोद यादव, तथा अन्य कई साहित्यकार व कलाकार शामिल हुए।
गुड्डू गुलशन ने अपने भावुक गीतों के माध्यम से अरुणेश नीरन को श्रद्धांजलि दी, जबकि कई वक्ताओं ने अपनी रचनाओं और स्मृतियों से उन्हें याद किया। सभा के अंत में उपाध्यक्ष सुनील सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि अरुणेश नीरन भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका सृजन और विचार हमेशा हम सबको प्रेरित करता रहेगा।
यह श्रद्धांजलि सभा भोजपुरी साहित्य और समाज के लिए एक भावपूर्ण क्षण था, जहां सबने एक स्वर में स्वीकार किया कि अरुणेश नीरन केवल एक साहित्यकार नहीं, बल्कि भोजपुरी आत्मा के जीवंत प्रतिनिधि थे।