जहाँ शब्द रुकते हैं, वहाँ नाद बोलता है – योगकुलम की भक्ति यात्रा पहुँची गुलाचीन मंदिर तक
संवाददाता प्रेरणा बुड़ाकोटी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश): शनिवार से बुधवार तक गुलाचीन मंदिर परिसर आध्यात्मिक चेतना से सराबोर हो गया, जब योगकुलम की भक्ति-आधारित ‘नाद यात्रा’ यहाँ पहुँची। चार दिनों तक चला यह कार्यक्रम न केवल संगीत और भजन का आयोजन था, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक पहुँचने का एक माध्यम भी बना।
इस श्रृंखला का नेतृत्व योगकुलम के संस्थापक मनीष प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि योग केवल शरीर की साधना नहीं, बल्कि मन और आत्मा के सम्यक संतुलन का माध्यम है। उन्होंने कहा, “आज योग को केवल व्यायाम तक सीमित कर दिया गया है, लेकिन असली योग आत्मा से जुड़ाव का साधन है, और भक्ति योग उसका सबसे सरल और प्रभावशाली मार्ग है।”
कार्यक्रम में शिखर मेहरोत्रा द्वारा प्रस्तुत भजनों, कीर्तन और नाम-स्मरण ने न केवल वातावरण को भक्तिमय बनाया, बल्कि उपस्थित साधकों के भीतर शांति और स्फूर्ति का संचार भी किया। कई श्रद्धालु भावविह्वल होकर अश्रुपूरित हो उठे। लोगों ने इसे केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा का उपचार बताया।
भक्ति और साधना के इस पवित्र वातावरण में सेजल, सौम्या, शुभम, सर्वेश, मानीषी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने पूर्ण श्रद्धा के साथ नाम-जप और सामूहिक साधना में भाग लिया। आयोजकों के अनुसार, ‘नाद यात्रा’ हर माह किसी न किसी मंदिर या सांस्कृतिक स्थल पर आयोजित की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग भक्ति योग के माध्यम से मानसिक शांति, ऊर्जा और आत्मिक बल प्राप्त कर सकें।