विश्व पर्यावरण दिवस -
"प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें" (Beat Plastic Pollution) थीम के तहत जिले में मनाया गया पर्यावरण दिवस!
///जगत दर्शन न्यूज
सिवान (बिहार): बढ़ते तापमान एवं अचानक परिवर्तन से विभिन्न प्रकार की एलर्जी, सर्दी, खांसी, बुखार, दम फूलना एवं सांस लेने में कठिनाई जैसी बीमारियां उत्पन्न होने से श्वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र एवं स्पर्श तंत्र प्रभावित होने की संभावना अत्यधिक होती है। जिससे सुरक्षित और बचाव को लेकर पौधारोपण करना बेहद जरूरी होता है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि प्लास्टिक प्रदूषण न केवल हमारे महासागरों और भूमि को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता के लिए भी खतरा बन गया है। प्रत्येक वर्ष लगभग 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जल निकायों में प्रवेश करता है, जिससे समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होते हैं। हालांकि इस वर्ष का अभियान लोगों को प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, पुन: उपयोग को बढ़ावा देने और पुनर्चक्रण की आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा यह नीति निर्माताओं, उद्योगों और समुदायों को प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है। जिसको लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों सहित अन्य के द्वारा पौधा लगाया गया है। ताकि भविष्य में पर्यावरण को संतुलित किया जा सके।
सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण निहायत जरूरी: प्रीति कुमारी
आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आम) सहूली की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) प्रीति कुमारी ने बताया कि जनजीवन की सुरक्षा के लिए पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जरूरत है। आधुनिकता की ओर बढ़ रहे विश्व में विकास की राह में कई ऐसी चीजों का उपयोग शुरू कर दिया गया है, जो धरती और पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है। क्योंकि इंसान और पर्यावरण के बीच सबसे गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना बेहतर जीवन की परिकल्पना करना बेमानी होती है। लेकिन इसी प्रकृति को इंसानों के द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिस कारण लगातार पर्यावरण दूषित हो रहा है, जो जनजीवन को प्रभावित करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन रहा है। सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण निहायत ही जरूरी है। इसी उदेश्यों की पूर्ति के लिए प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ताकि पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक किया जा सके। साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाता है। इस अवसर पर सीएचओ प्रीति कुमारी, बीसी सोनू कुमार, ए एन एम आशा कुमारी, आशा कार्यकर्ता नीतू देवी और नीलू देवी, रजनी कुमारी, पूजा देवी, उषा देवी सहित कई अन्य रोगी हितधारक मंच के सदस्य मौजूद रहे।
हसनपुरा प्रखंड अंतर्गत गायघाट गांव स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आम) के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अमरजीत हरिजन ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) के सहयोग से नीम का पौधा लगाया है। मौके पर मौजूद लोगों को सलाह देते हुए कहा कि अत्यधिक आवश्यकता होने की स्थिति में ही प्लास्टिक का उपयोग करने को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है। इसके बाद उन्हें कचरे की तरह फेंकने की जगह उनके पुनर्चक्रीकरण हो सके ऐसी व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव मौसम में परिवर्तन एवं बढ़ते तापमान के रूप में देखा जा सकता है। तापमान के बढ़ने एवं अचानक परिवर्तन से विभिन्न तरह के एलर्जी, सर्दी, खांसी, बुखार, दम फूलना एवं सांस लेने में कठिनाइ जैसी बीमारियां उत्पन्न होने से श्वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र एवं स्पर्श तंत्र प्रभावित होने की संभावना अत्यधिक होती है।क्योंकि देश में इस तरह की समस्याओं का दायरा बहुत बड़ा है, जिस कारण मलेरिया, डेंगू, पीला बुखार, हैजा और चिकनगुनिया के साथ-साथ पुरानी बीमारियों के बढ़ने की आशंका बनी बनी रहती हैं। इस अवसर पर सिफार के बीसी सोनू कुमार, पीएसपी सदस्यों में अशोक सिंह, चंदन सोनी, बेचू खरवार, ज़ाकिर हुसैन सहित कई अन्य लोग शामिल थे।
रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) के सदस्यों ने संयुक्त रूप से किया अपील करते हुए कहा कि घरों में बेकार पड़े हुए प्लास्टिक की बोतल को फेकना नहीं हैं। बल्कि आप लोग हल्के या छोटे- छोटे जड़ वाले पौधों को लगाने के लिए उसका उपयोग आसानी से कर सकते हैं। क्योंकि बोतलों में पौधे लगाना बहुत ही आसान होता है। आप के बगीचे में बोतल का उपयोग करने के कई तरीके हैं। गार्डन प्लांट्स, हैंगिंग टोकरिया, पानी के डिब्बे जैसे बगीचे के उपकरण और बोर्ड हाउस जैसे सजावट बनाने की कोशिश करें।