निराकार साकार..... (ब्रह्म स्तुति)
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
जग कर्ता-हर्ता हरि, जग पालक जग रुप।
सृष्टि के कण-कण बसी, तेरी छवि अनूप।।
सृष्टि के कण-कण बसी, तेरी छवि अनूप।।
सागर के लहरों में तुम हो झरनों के कलकल में।
बादल के गर्जन में तुम हो, नदी के निर्मल जल में।।
मंदिर की पूजा में तुम हो मस्जिद के आजानों में।
गुरुद्वारो के कीर्तन में तुम गिरजाघर के गानों में।।
जीवन के हर रूप में तू है, साँस-साँस में वास है।
सुख-दुख में सम भाव रहे तू, तेरा सत् एहसास है।।
तुझसे सृष्टि तुझमें सृष्टि, तू सृष्टि का भूप है।
तुझसे जीवन तुझमें जीवन, जीवन का सत् रुप है।।
सृष्टि पर कल्याण करो हे सकल सृष्टि के स्वामी।
निराकार साकार ब्रह्म तू, हे उर अन्तर्यामी।।
निराकार साकार ब्रह्म तू, हे उर अन्तर्यामी।।
हो बिजेन्द्र शरणागत श्री हरि सादर शीश झुकाये।
चरणामृत नित् पान करे शुभ, तेरा ही गुण गायें।।
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✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेंदर बाबू)
गैरतपुर, माँझी, सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:- 7250299200