तेरे कृपा बिन जीव दुखारी, आकर गए लगाओ!
(सरयू स्तुति)
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
कोटिन जीव जियत जल माहीं, शहर बसे कई तीर।
अमृतमय पय जीवन देता, हरत जगत की पीर।।
हरियाली हर ओर बसावत, निर्मल सजल सुहावन।
हे माता मुझ अधम दीन को, आशीष दे कर पावन।।
तेरे निर्मल जल हे माता, सुख सौभाग्य बढ़ाये।
जो नर नित् स्नान करे वो, सकल मनोरथ पाये।।
नाम लेत रसना हो पुलकित , दरश करत दृग पावन।
डुबकी लगावत धन्य भये जीवन, महिमा अजब लुभावन।।
सुर, असुर,गंधर्व देव सब , तेरे हीं गुण गायें।
तेरे निर्मल पावन तट पर, बसत अति सुख पाये।।
जीवन के हर रुप में माता, तेरी छवि बसी है।
तेरी कृपा दृष्टि से मइया, सृष्टि सकल सजी है।।
अब जग पर कल्याण करो माँ , कृपा दृष्टि बरसाओ।
तेरी कृपा बिन जीव दुखारी, आकर गले लगाओ।।
धन्य धन्य है धन्य जीव सब, जो तट सरयु पाते।
भक्ति भाव से स्नेह विनय कर, अमीत प्रेम रस पाते।।
धन्य बिजेन्द्र तट सरयु पाकर, लिखत भोर यह वाणी।
जन्म लिये करतार सृष्टि के, वेद पुराण बखानी।।
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
गैरतपुर, माँझी
सारण, बिहार
मो. नंबर:- 7250299200