दीपा टाक के कहानी संग्रह ‘इश्क का बुखार’ का हुआ भव्य लोकार्पण, प्रेम के विविध आयामों पर हुई चर्चा
मुख्य अतिथि कथाकार एवं कवयित्री प्रगति गुप्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के दौर में प्रेम का स्वरूप बदल गया है। अब यह केवल पारंपरिक त्रिकोणीय रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चतुष्कोणीय या उससे भी अधिक जटिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रेम ऐसा होना चाहिए जिसका असर जीवनभर बना रहे, और यह कहानियां प्रेम के उस गहन एहसास को अभिव्यक्त करती हैं जो मौन और एकांत में भी आनंद देता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कवयित्री एवं कथाकार डॉ. पद्मजा शर्मा ने दीपा टाक की कहानियों को जीवन के बेहद करीब बताते हुए कहा कि ये कहानियां स्कूल, कॉलेज और घर की चारदीवारी में प्रेम, संघर्ष और आत्म-निर्माण के भावों को तलाशती हैं। उन्होंने संग्रह की प्रमुख कहानी ‘इश्क का बुखार’ को संभावित उपन्यास की भूमिका करार देते हुए लेखिका की सृजनात्मक क्षमता की सराहना की।
विशिष्ट अतिथि डॉ. नीना छिब्बर ने कहा कि दीपा की कहानियां कल्पना और यथार्थ के समन्वय से रची गई हैं। इन कहानियों में इश्क का जुनून, त्याग, बलिदान, समझौता और आभासी प्यार सभी कुछ मौजूद हैं, जो उन्हें अत्यंत प्रासंगिक और आकर्षक बनाते हैं।
लेखिका दीपा टाक ने कहानी ‘एक वायदा’ का पाठ करते हुए भावुक अंदाज़ में कहा कि संग्रह की हर कहानी उनके जीवन के अनुभवों और प्रेम के विभिन्न आयामों से जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि ये कहानियां उनके दिल के बेहद करीब हैं और उन्होंने इन्हें न केवल लिखा है, बल्कि जिया भी है।
कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन कथाकार अर्चना त्यागी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन गांधी शांति प्रतिष्ठान के मानद सचिव डॉ. भावेन्द्र शरद जैन ने किया।
इस साहित्यिक आयोजन में कथाकार एवं शायर हबीब कैफ़ी, डॉ. सुमन बिस्सा, रामकिशोर फिडोदा, प्रमोद वैष्णव, मनशाह नायक, डॉ. संजीदा खानम, गौतम गट्स, मोहन सहित अनेक साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।