अपने जन्मदिन पर एक पक्का सा वायदा मेरा!
आशाओं के अम्बर पर लिखा मैंने
अपने जन्मदिन पर एक पक्का सा वायदा मेरा।।
सभी हमारे अपनों के लिए।
ईश्वर ने चाहा तो हम लोग बार/बार मिलेंगे।
बिताएं दिनों की यादों को साथ लेकर।
खुशियों के नये तराने छेड़ेंगे।
प्यारी सी भीगी//भीगी बारिश में सराबोर हो जाएंगे।
पहली पहल हसीन मुलाकात की तरह।
मेरे जन्मदिन पर बेशकीमती नायाब तोहफा है
अपनों संग साथ बिताए लम्हे।
मित्रों साथियों के गूंजते बेबाक ठहाके।
निश्छल मन बच्चों की मासूम मुबारकबाद के उम्दा अल्फाज़।
उम्मीद से बंधे वादों के साथ फिर कभी, फिर कभी।।
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