आयकर: आम आदमी के लिए एक सरल मार्गदर्शक!
क्या आप आयकर (Income Tax) के बारे में सोचते ही थोड़ा भ्रमित हो जाते हैं? चिंता न करें! यह लेख आपको आयकर को सरल शब्दों में समझने में मदद करेगा, ताकि आप बिना किसी परेशानी के अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा कर सकें।
आयकर (Income Tax) क्या है?
आयकर वह अनिवार्य भुगतान है जो भारत सरकार आपकी कमाई पर लगाती है। यह एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है, जिसका अर्थ है कि यह सीधे व्यक्तियों या संस्थाओं की आय पर लगाया जाता है। आप वेतन, व्यवसाय, किराए, पूंजीगत लाभ (जैसे संपत्ति या शेयरों की बिक्री से लाभ) या किसी अन्य वैध स्रोत से जो भी पैसा कमाते हैं, उसका एक निश्चित हिस्सा सरकार को कर (Tax) के रूप में देना होता है।
इस पैसे का उपयोग सरकार देश के समग्र विकास और नागरिकों के कल्याण के लिए करती है। इसमें सड़कों, पुलों, स्कूलों और अस्पतालों जैसी आवश्यक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा का प्रावधान, रक्षा व्यय, और विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं जैसे सब्सिडी और पेंशन का वित्तपोषण शामिल है। संक्षेप में, आयकर राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक नागरिक का योगदान है।
आयकर किन लोगों को देना होता है?
मुख्यतः, भारत में रहने वाले हर नागरिक को आयकर देना होता है, जिनकी आय एक निश्चित सीमा से अधिक होती है। इस सीमा को "मूल छूट सीमा" (Basic Exemption Limit) कहा जाता है और यह हर साल सरकार द्वारा केंद्रीय बजट (Union Budget) में तय की जाती है। वित्त अधिनियम, 2025 में मूल छूट सीमा 3 लाख तय की गई है।
वर्तमान में (यानी वित्तीय वर्ष 2025-26 के अनुसार), भारत में दो प्रमुख कर व्यवस्थाएं (Tax Regime) उपलब्ध हैं, जिनमें से आप अपनी सुविधा और वित्तीय स्थिति के अनुसार चुन सकते हैं:
नई कर व्यवस्था (New Tax Regime):
इस व्यवस्था में ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है। हालांकि, इसमें अधिकांश कटौतियां और छूटें (Deductions and Exemptions) उपलब्ध नहीं होती हैं। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जिनकी आय इस सीमा के आसपास है और जो निवेश-आधारित कटौतियों का अधिक उपयोग नहीं करते हैं।
पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime):
इस व्यवस्था में ₹5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है। पुरानी व्यवस्था उन लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है जो आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध कटौतियों और छूटों (जैसे धारा 80C के तहत निवेश, गृह ऋण ब्याज, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम आदि) का लाभ उठाना चाहते हैं, जिससे उनकी कर योग्य आय कम हो सके। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आय, निवेश और खर्चों के आधार पर यह आकलन करें कि आपके लिए कौन सी कर व्यवस्था अधिक लाभदायक है।
आयकर रिटर्न (Income Tax Return - ITR) क्या है?
आयकर रिटर्न (ITR) एक अनिवार्य फॉर्म है जो आपको हर साल सरकार को अपनी आय, कटौतियों (जैसे निवेश या खर्च जिन पर कर छूट मिलती है), और वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान किए गए कर की विस्तृत जानकारी देने के लिए भरना होता है। यह एक तरह से आपकी वित्तीय वर्ष की आय और कर का पूरा हिसाब-किताब होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आपने अपनी देयता के अनुसार सही कर का भुगतान किया है।
आईटीआर (ITR) जमा करने से न केवल आप कानूनी रूप से अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं, बल्कि इसके कई अन्य लाभ भी हैं:
ऋण आवेदन (Loan Applications):
होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन जैसे विभिन्न प्रकार के ऋणों के लिए आवेदन करते समय ITR एक महत्वपूर्ण आय प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
वीजा आवेदन (Visa Applications):
कुछ देशों के लिए वीजा आवेदन करते समय, आपको अपनी वित्तीय स्थिरता के प्रमाण के रूप में ITR प्रस्तुत करने की आवश्यकता हो सकती है।
रिफंड का दावा (Claiming Refunds):
यदि आपने अपनी वास्तविक कर देयता से अधिक कर का भुगतान किया है (उदाहरण के लिए, TDS के माध्यम से), तो ITR जमा करके आप अतिरिक्त भुगतान किए गए कर के रिफंड का दावा कर सकते हैं।
नुकसान को आगे बढ़ाना (Carrying Forward Losses):
यदि आपको किसी वित्तीय वर्ष में कोई नुकसान हुआ है (जैसे पूंजीगत नुकसान), तो ITR जमा करके आप उसे भविष्य के वर्षों में समायोजित करने के लिए आगे बढ़ा सकते हैं, जिससे आपकी भविष्य की कर देयता कम हो सकती है।
आईटीआर (ITR) भरने की नियत तारीख (Due Date) आमतौर पर 31 जुलाई होती है (वेतनभोगी व्यक्तियों और गैर-ऑडिट मामलों के लिए)। नियत तारीख के बाद आईटीआर भरने पर विलंब शुल्क (Penalty) लगता है। वर्तमान नियमों के अनुसार, नियत तारीख के बाद भरने पर ₹1,000 (यदि आय ₹5 लाख तक है) और ₹5,000 (यदि आय ₹5 लाख से अधिक है) का विलंब शुल्क लग सकता है।
आयकर रिटर्न (ITR) कब भरना होता है?
यदि आपकी कुल आय एक वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा ( यानि 3 लाख से ऊपर ) से ऊपर चली जाती है तो आपको आयकर रिटर्न (ITR) भरना अनिवार्य हो जाता है। परन्तु कर (Tax) आपको तब देना है जब आपकी कर योग्य आय (Taxable Income) वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई कर व्यवस्था में ₹12 लाख और पुरानी कर व्यवस्था में ₹5 लाख अधिक हो जाती है।
हमें उम्मीद है कि यह विस्तृत जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आप आयकर को बेहतर ढंग से समझ पाए होंगे। आयकर नियमों को समझना और उनका पालन करना न केवल आपकी कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह देश के विकास में आपका सक्रिय योगदान भी है।
✍️ प्रकाश कुमार (चार्टड अकाउंटेंट छात्र)
संपर्क सूत्र: +91 74796 16033