कमजोर नवजात शिशुओं के इलाज में मॉडल सदर अस्पताल में संचालित एसएनसीयू किसी वरदान से कम नहीं!
अप्रैल 2022 से अभी तक 2924 नवजात शिशुओं का हुआ इलाज!
जन्म के साथ विभिन्न बीमारियों से ग्रसित और कम वजन वाले बच्चों के बेहतर इलाज के लिए बेहतर विकल्प: सिविल सर्जन
आवश्यक इलाज सुनिश्चित कराने के शिशु रोग विशेषज्ञों की अहम भूमिका: अधीक्षक
सिवान, 25 मई।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की समुचित जांच और इलाज नहीं होने के साथ ही गर्भकाल के दौरान आवश्यक रूप से पौष्टिक आहार नहीं लेने के कारण होने वाला नवजात शिशु बहुत ही कमजोर और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। ऐसे बच्चों को जन्म के बाद से ही पर्याप्त इलाज और पोषण की जरूरत होती है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि ऐसे बच्चों के इलाज में मॉडल सदर अस्पताल परिसर स्थित स्पेशल नवजात शिशु देखभाल इकाई (एस एन सी यू) नवजात शिशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। क्योंकि यहां न केवल सरकारी अस्पताल में जन्म हो रहे कमजोर बच्चों का इलाज किया जाता है, बल्कि बाहरी अस्पतालों में जन्म लेने वाले कमजोर नवजात शिशुओं का भी बेहतर इलाज करते हुए उन्हें बिल्कुल स्वस्थ बनाकर रवाना किया जाता है। इतना ही नहीं अगर कोई नवजात शिशु यहां उपलब्ध सुविधाओं से ठीक नहीं हो सकता है, तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से पटना रेफर कर दिया जाता है। इससे लोगों को अपने बीमार नवजात शिशु का एसएनसीयू में इलाज करवाने की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है और ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद परिजन इसका लाभ उठा रहे हैं। एसएनसीयू में इलाज के दौरान बच्चों को सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं निः शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। यहां से डिस्चार्ज होने वाले बच्चों को एक सप्ताह के अंदर पहला फॉलोअप किया जाता है, जबकि उसके बाद कुछ दिनों के अंतराल पर फॉलोअप किया जाता है। वहीं एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने वाले बच्चों को एक वर्ष में अधिकतम पांच बार फॉलोअप किया जाता है जिससे कि बच्चे के स्वस्थ होने की जानकारी ली जा सके।
सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त चिकित्सकीय सहायता नहीं लेने के कारण नवजात शिशु बहुत ही कमजोर और बीमारी से ग्रसित जन्म लेता है। ऐसे बच्चों का वजन जन्म के साथ ही बहुत कम होता है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत, हाइपोथर्मिया एवं हाइपोग्लेशिमिया जैसी बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके लिए उन्हें तत्काल चिकित्सक की निगरानी में रखने के लिए स्पेशल नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में इलाज के भर्ती कराया जाता है, जहां बच्चों को वार्मर में रखते हुए उनका बेहतर इलाज सुनिश्चित किया जाता है। कम वजन वाले बच्चों के साथ ही जन्म के दौरान बर्थ एक्सपेक्सिया, निमोनिया, जॉन्डिस, ब्लड इंफेक्शन, जन्म के दौरान गंदगी खाने वाले बच्चे, जन्म के बाद ऑक्सीजन लेवल कम रहने, सामान्य तापमान रहने वाले बच्चों को जन्म के बाद ही एसएनसीयू में एडमिट करते हुए शिशु रोग विशेषज्ञों जिनमें डॉ कालिका सिंह, डॉ पंकज कुमार सिंह और डॉ उमेश कुमार गुप्ता के द्वारा आवश्यक इलाज सुनिश्चित कराया जाता है। ऐसे बच्चे जो जन्म के एक मिनट बाद तक नहीं रोते हैं, उन्हें बर्थ एक्सपेक्सिया की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे बच्चों को तत्काल एसएनसीयू में एडमिट करते हुए उनका बेहतर उपचार किया जाता है। इससे सभी बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचते हैं और अपना पूरा जीवन सामान्य रूप से यापन कर सकते हैं। जिन बच्चों को मॉडल सदर अस्पताल के एसएनसीयू में उपलब्ध सुविधाओं के कारण इलाज नहीं किया जा सकता है, उन्हें बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से पटना रेफर कर दिया जाता है।
एसएनसीयू की प्रभारी जीएनएम शोभा कुमारी ने बताया कि अप्रैल 2022 से अभी तक 2 हजार 9 सौ 24 नवजात शिशुओं का बेहतर तरीके से उपचार करने के बाद उन्हें वापस घर भेजा गया है। जिसमें वित्तीय वर्ष 2022 - 23 में 687, 2023 - 24 में 1167, 2024 - 25 में 933, वहीं अप्रैल में 77 जबकि मई में अभी तक 60 नवजात शिशु शामिल हैं। हालांकि नवजात शिशुओं के इलाज के लिए एसएनसीयू में पर्याप्त मात्रा में हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। स्थानीय स्तर के नवजात शिशुओं के बेहतर इलाज के लिए 12 वार्मर, 02 सी- पैप, 04 फोटो थेरेपी और 06 ऑक्सीजन कंसेंटेटर की व्यवस्था उपलब्ध है। यहां बच्चों के इलाज के लिए 24 घंटे आठ प्रशिक्षित जीएनएम अंजली कुमारी, पुष्पा कुमारी, निधि कुमारी, प्रीति रानी, राज नंदिनी, इंद्राणी, सरिता कुशवाहा और संगीता कुमारी जबकि 03 शिशु रोग विशेषज्ञ रोस्टर के अनुसार उपलब्ध रहते हैं। प्रतिदिन ओपीडी कार्य अवधि के दौरान 02 चिकित्सक एसएनसीयू वार्ड में उपस्थित रहकर एडमिट बच्चों के स्वास्थ्य की आवश्यक जांच सुनिश्चित करते हैं। वहीं क्रिटिकल स्थिति में एसएनसीयू में एडमिट होने वाले बच्चों की पर्याप्त जांच और मेडिकल सहायता के लिए एसएनसीयू इंचार्ज और नोडल चिकित्सक कभी भी उपस्थित हो सकते हैं। इससे एसएनसीयू में इलाज करवाने वाले ज्यादातर बच्चों को निश्चित समय में स्वस्थ करते हुए उन्हें परिजनों को सुपुर्द किया जाता है।