'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना से गूंजा विश्व परिवार दिवस, हिन्दी महिला समिति नागपुर का आयोजन!
नागपुर (बिहार): 'वसुधैव कुटुंबकम्'—संपूर्ण विश्व एक परिवार है—इस विचार को केन्द्र में रखकर हिन्दी महिला समिति, नागपुर ने विश्व परिवार दिवस के उपलक्ष्य में एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया। समिति की अध्यक्ष रति चौबे के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में सभी बहनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने विचारों के माध्यम से पारिवारिक और वैश्विक सौहार्द की महत्ता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत निशा चतुर्वेदी के प्रेरणास्पद शब्दों से हुई, जिन्होंने कहा—"विश्व में शांति हेतु बढ़े चलें कदम, सब कहें झूम झूम वसुंधरा को चूम चूम—वसुधैव कुटुंबकम्!" सुषमा अग्रवाल ने परिवार को आपसी प्रेम और संवाद का केंद्र बताया, जहाँ सबकी इच्छाओं का सम्मान होता है। कविता परिहार ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् जीवन का सुदृढ़ आधार है, जिससे रिश्तों की मिठास जन्म लेती है और जीवन में बहार आती है।
उपाध्यक्षा रेखा पाण्डेय ने वसुधैव कुटुंबकम् की व्याख्या करते हुए कहा कि इसमें न केवल रक्त संबंधी परिवार बल्कि पड़ोसी और समाज के सभी लोग भी शामिल हैं, और साथ मिलकर त्यौहार मनाना और सुख-दुख में सहभागी बनना ही इसकी सच्ची भावना है। भगवती पंत ने इसे सनातन धर्म की आत्मा बताया और कहा कि यह भावना भारत को विश्वगुरु बनाती है।
मंजू पंत ने वसुधैव कुटुंबकम् को धरती के समस्त जीवों का एक परिवार मानते हुए कहा कि जब हमारी सोच सीमाओं से परे जाकर सबको अपना मानती है, तभी सच्चे अर्थों में यह भावना जीवंत होती है। अपराजिता राजोरिया ने भारत-नेपाल की सांस्कृतिक विविधता और एकता का उदाहरण देते हुए कहा कि संगठन की शक्ति किसी सीमा, लिंग या संसाधन की मोहताज नहीं होती।
विमलेश चतुर्वेदी ने कहा कि परिवार से समाज, समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता है, इसलिए परिवार में प्रेम और सद्भाव ही वैश्विक भाईचारे की नींव है। रश्मि मिश्रा ने कहा कि परायों को अपना बनाना ही इस विचार की आत्मा है और त्योहारों के सामूहिक उत्सव इसी भावना को मजबूत करते हैं।
गार्गी जोशी ने परिवार की व्यापक परिभाषा प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब हम अपने दायरे को तोड़कर समाज, देश और विश्व को भी परिवार मानते हैं, तभी वसुधैव कुटुंबकम् का नारा सार्थक होता है। गीतू शर्मा ने सभी से अपील की कि हम प्रेम, मर्यादा और सकारात्मकता को अपनाकर अराजकता से दूर रहें और इस महान भावना को अपने जीवन का मूल बना लें।
कार्यक्रम की सफलता समिति की एकजुटता और विचारशीलता का परिचायक रही, जो न केवल महिला शक्ति की सशक्त अभिव्यक्ति है, बल्कि समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी।