जब प्राण तन से छुटे!
बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू) 7250299200
आश मिटी विश्वास मिटा, मिटा सकल एहसास।
आशा तृष्णा सब मिटी, मिटती इक इक साँस।।
चाह मिटा चाहत मिटी, मिटे बात जज़्बात।
माया की लड़ियाँ मिटी, मिटे भेद दिन रात।।
शक्ति मिटी साहस मिटा, मिटे जगत के भेद।
दुविधा सब मन की मिटी, मिट गये भेद विभेद।।
दोस्त मिटे दुश्मन मिटे, प्रेम घृणा के राज।
रिस्ते नाते सब मिटे, मिट गये रश्म रिवाज।।
अब प्रण राखो श्री हरि, मिटा अपन का भेद।
तड़पत अब मन प्राण है, सबमें दिखता छेद।।
सुन बिजेन्द्र मिटते सभी, जब छूटे तन प्राण।
बने कर्म साथी सखे, मिथ्या लगे जहान।।