सपनों के साथ बिछ गई फसलें, किसानों की आंखों में आंसू और दिल में पीड़ा!
///जगत दर्शन न्यूज
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: जब खेतों में गेहूं की बालियाँ सुनहरी होकर लहराने लगती हैं, तब किसान का दिल भी उम्मीदों से भर जाता है। लेकिन इस बार गोबरही गांव के किसानों की वह खुशी तेज हवाओं और बारिश की मार से मातम में बदल गई। हजारों एकड़ में फैली गेहूं की फसल देखते ही देखते धरती पर बिछ गई, मानो किसान की मेहनत को किसी ने रौंद डाला हो।
किसान सुमेश सिंह, शिवनाथ यादव और दिलीप यादव की आँखों में आंसू छलक उठे जब उन्होंने टूटे हुए सपनों को खेत में पड़े देखा। पत्रकारों से बात करते हुए उनकी आवाज़ में दर्द साफ झलक रहा था—"एक तरफ खाने का संकट खड़ा हो गया है, दूसरी ओर हमारे पशुओं के लिए साल भर का भूसा भी अब सपना बन गया है।"
उन्होंने कहा, "हम हर साल किसी न किसी मार से जूझते हैं—कभी सूखा, कभी बारिश, और हर बार सिर्फ हम ही टूटते हैं।" किसानों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि एक निष्पक्ष जांच कराई जाए और गोबरही सहित पूरे मांझी प्रखंड के किसानों को उचित मुआवजा मिले।
इस पीड़ा के पल में रामपति राम, शेषनाथ गिरी, अशोक सिंह और जदयू के महासचिव सुनील सिंह सहित दर्जनों ग्रामीण और जनप्रतिनिधि किसानों के साथ खड़े दिखाई दिए। सबकी एक ही आवाज थी—"किसान अगर टूटा, तो गांव बचेगा कैसे?"