कुष्ठ रोगियों के सेवाभावी जीवन को समर्पित महात्मा पद्मश्री बापट जी को जयंती पर श्रद्धांजलि!
प्रेरणा बुड़ाकोटी/नई दिल्ली
चांपा, 29 अप्रैल। भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, कात्रेनगर (चांपा) में आज पद्मश्री दामोदर गणेश बापट जी की जयंती पर सहकार भारती के पदाधिकारियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर सहकार भारती के प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री रामप्रकाश केशरवानी एवं पैक्स प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री घनश्याम तिवारी ने बापट जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके सेवामूलक जीवन को नमन किया।
बापट जी का जन्म 29 अप्रैल 1935 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के ग्राम पथरोट में हुआ था। बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बापट जी ने सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। वर्ष 1971 में वे चांपा आए और 1977 से भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के सचिव पद की जिम्मेदारी संभाली।
उन्होंने सोठी ग्राम स्थित कुष्ठ आश्रम को सेवा केंद्र बनाते हुए हजारों कुष्ठ रोगियों को नया जीवन दिया। आज भी वहां लगभग 200 कुष्ठ रोगी निवास करते हैं। आश्रम में चिकित्सा, शिक्षा, पुनर्वास तथा आत्मनिर्भरता हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें मोमबत्ती निर्माण, कृषि, गोपालन, सिलाई, कंप्यूटर प्रशिक्षण, बच्चों के लिए विद्यालय एवं छात्रावास की सुविधा शामिल है।
उनके समर्पण और सेवाभाव के लिए उन्हें 1995 में 'विवेकानंद सेवा सम्मान' तथा 2017 में भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। 17 अगस्त 2019 को उनका निधन हुआ। मृत्यु उपरांत उनकी देह को चिकित्सा शिक्षा हेतु दान कर दिया गया—यह उनकी सेवा भावना की अंतिम मिसाल थी।
इस अवसर पर सहकार भारती के पदाधिकारियों ने बापट जी के प्रेरणादायी जीवन से सीख लेने का आह्वान करते हुए कहा कि सेवा, समर्पण और करुणा की भावना से ओतप्रोत उनका जीवन हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक है। उनके पदचिन्हों पर चलकर समाज के वंचित और पीड़ित वर्ग के उत्थान में योगदान देना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।