संक्षिप्त श्रीमद्भागवत
✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी
कारागार में जन्म लिए हरि, देवकी गर्भ को धन्य बनायो।
वासुदेव संग हरषि देवकी, दर्शन कर मन अति सुख पायो।।
नंद को घर आनंद भयो बहु, गोप ग्वाल संग रास रचायो।
पूतना संग बहु दैत्य मारि कै, गोप ग्वाल कै मन हरषायो।।
इंद्र को कोप भयो जब कान्हा, बहू विधि गोवर्धन गुण गायो।
इंद्र का दर्प दमन कर केशव, गोबर्धन को मान बढ़ायो।।
कंस को दर्प दमन कर कै हरि, मारी मही की त्रास मिटायो।
जय जय जय सब देव करें, भयहारि महाप्रभु धीर धारायो।।
कुरू पाण्डव बीच द्वंद भयो, हरि संधि विचार बहू विधि किन्हा।
कुरुक्षेत्र मँह मोह भई तब, गीता ज्ञान पार्थ को दिन्हा।।
भीष्म सुयोधन द्रोण कर्ण सब, मारे हरि महाभारत जोड़े।
कुंती सुत पालन करके प्रभु, धर्म विजय सत् राह से जोड़े।।
आदि अंत अरु मध्य कृष्णा है, सकल चराचर जीव को वासी।
बहु विधि कहत पुराण भागवत, लीला अमीय सहज सुखराशि।।
कहत बिजेन्द्र धन्य वह नर तन, , जो गावत लीला हरी न्यारी।
हरि भजन बिन जीभ अकारथ, तन भीतर बहु जीभ दुखारी।।
✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
ग्राम:- गैरतपुर, पोस्ट:- घोरहट मठिया
थाना:- माँझी, जिला:- सारण
बिहार, संपर्क: 7250299200