श्रीराम कथा के दौरान शिव विवाह की लीला से मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु!
सारण (बिहार): माँझी नगर पंचायत के कुँअर टोली में श्रीराम दरबार सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन प्रवचनकर्ता श्री रविरंजन तेजस्वी ने शिव विवाह की पावन कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि यह कथा अत्यंत पुण्यदायी है और श्रोताओं को आध्यात्मिक आनंद से भर देती है।
कथा में बताया गया कि जब भगवान शिव बारात लेकर निकले, तो उनकी बारात में भूत-प्रेत, बेताल आदि झूमते-नाचते चल रहे थे। शिवजी नंदी पर सवार थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। उनके साथ भगवान विष्णु और ब्रह्माजी देवताओं की टोली के साथ चल रहे थे। त्रिलोक शिव विवाह की खुशी में मगन था और चारों ओर "हर-हर महादेव" की जयकारें गूंज रही थीं।
बारात देवी पार्वती के पिता राजा हिमांचल के द्वार पर पहुंची, जहाँ स्वागत के लिए महिलाएं आरती की थाली लेकर खड़ी थीं। शिवजी के रूप को देखकर उनकी सासु माँ मैना चौंक गईं और भयभीत होकर अचेत हो गईं। उन्होंने शिवजी से अपनी कन्या का विवाह करने से इनकार कर दिया। परंतु देवी पार्वती ने उन्हें समझाया कि शिवजी की यह सब लीला है और उनके वास्तविक स्वरूप से मिलने की अनुमति मांगी।
प्रवचन में श्री तेजस्वी ने कहा कि शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की पूजा से आयु, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है। शिव अभिषेक से आत्मा की शुद्धि होती है और दीप अर्पित करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम की शुरुआत जनसुराज के नेता उदयशंकर सिंह द्वारा आरती के साथ की गई। पंकज निगम और अशोक सिंह ने हारमोनियम और तबले से भक्ति वातावरण को और भी मधुर बना दिया। कार्यक्रम का संचालन रंजन शर्मा ने किया जबकि संयोजन की भूमिका कमल शर्मा ने निभाई। उन्होंने अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।