कैंडल मार्च के ज़रिए पहलगाम जातीय नरसंहार के शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि!
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सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: शनिवार की शाम जिले के रिविलगंज थाना क्षेत्र के ग्राम मेथवलिया में छपरा-सिवान रोड स्थित प्राचीन शंकर जी के मंदिर परिसर में एकत्र होकर स्थानीय नागरिकों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण जातीय नरसंहार के शहीदों को नम आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित की।
ज्ञात हो कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम क्षेत्र में इस्लामिक जिहाद के तहत एक वीभत्स जातीय हिंसा हुई थी,जिसने समूचे राष्ट्र को आक्रोश और शोक से भर दिया। इस अमानवीय कृत्य ने समूचे समाज को यह सोचने पर विवश कर दिया कि अब जाति,धर्म और क्षेत्रीयता के संकीर्ण बंधनों से ऊपर उठकर एक सशक्त भारतीय पहचान की ओर बढ़ना समय की माँग है।
इसी भावना के अनुरूप 'हरे राम सेवा संस्थान' और 'हर एक भारतीय' के आह्वान पर आज सायं 6 बजे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। शंकर जी के मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में ग्रामवासी,युवा वर्ग, महिलाएँ और बुजुर्ग एकत्र हुए। कार्यक्रम का प्रारंभ शहीदों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के मौन के साथ हुआ। इसके पश्चात दीप प्रज्वलन कर सामूहिक रूप से श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
सभा के दौरान वक्ताओं ने इस त्रासदी पर गहरा शोक व्यक्त किया और ऐसी घटनाओं के खिलाफ संगठित होकर प्रतिरोध खड़ा करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह ने राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा का संकल्प लिया।
श्रद्धांजलि सभा के उपरांत,सभी उपस्थितजन मोमबत्तियाँ लेकर शांतिपूर्ण कैंडल मार्च के लिए निकले। शंकर जी के मंदिर से प्रारंभ हुआ यह मार्च जलालपुर मंदिर तक पहुँचा और पुनः मेथवलिया गाँव लौट आया। मार्च के दौरान 'भारत माता की जय', 'शहीदों अमर रहें', 'जाति नहीं, राष्ट्रीयता हमारी पहचान है' जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा। छोटे बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक,सभी ने अपनी उपस्थिति से यह संदेश दिया कि भारत की एकता को किसी भी विभाजनकारी ताकत से टूटने नहीं दिया जाएगा।
'हरे राम सेवा संस्थान' के संस्थापक अनंत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जाति,धर्म,क्षेत्रीयता जैसी संकीर्ण पहचानें अब समय के साथ अपना स्थान खो रही हैं। उन्होंने कहा, "जो विभाजनकारी शक्तियाँ हमें जाति और धर्म के नाम पर तोड़ना चाहती हैं, उनके मंसूबों को हम अपनी एकता से विफल करेंगे। भारतीयता ही हमारी सबसे बड़ी पहचान है और इस पहचान की रक्षा के लिए प्रत्येक भारतीय को सजग रहना होगा।" डॉ संजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाएँ केवल हमारे संवैधानिक मूल्यों पर आघात नहीं करतीं,बल्कि हमारी अंतरात्मा को भी चुनौती देती हैं। अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर राष्ट्रीय एकता के पक्ष में खड़े हों और जाति तथा संप्रदाय के नाम पर समाज में दरार डालने वालों को करारा जवाब दें।
वही डॉ राहुल राज ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने राष्ट्र की अखंडता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए समर्पित रहने का संकल्प दिलाया। पूरे आयोजन के दौरान वातावरण अत्यंत गम्भीर,भावुक और एकता के संदेश से ओतप्रोत रहा। मोमबत्तियों की रोशनी में जब गाँव की गलियाँ जगमगा उठीं,तो प्रतीत हुआ मानो समूचा क्षेत्र शहीदों के सम्मान में नतमस्तक हो गया हो।
यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि यह संकल्प था — भारत को जाति,संप्रदाय और क्षेत्रीयता से ऊपर उठाकर एक संगठित और मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का।