राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आभासी संगोष्ठी का आयोजन!
कोलकाता: 'भारतीय भाषा शोध संस्थान' और 'भोजपुरी साहित्य विकास मंच' के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखरन वेंटकरमन को समर्पित एक आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन स्ट्रीमयार्ड द्वारा संपन्न किया गया और इसका सीधा प्रसारण यूट्यूब के माध्यम से किया गया।
इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय 'भारतीय लेखिकाओं के साहित्य में आधुनिक वैज्ञानिक चेतना का अंतर्प्रवाह' था। मुख्य वक्ता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (मुंबई) की संयुक्त निदेशक (राजभाषा) डॉ.रश्मि वार्ष्णेय थी। उनका व्याख्यान संगोष्ठी के केंद्रीय विषय पर आधारित था। रेवा विश्वविद्यालय (बेंगलुरु) की सहायक प्राध्यापिका डॉ. नंदिनी चौबे के व्याख्यान का शीर्षक 'भारतीय लेखिकाओं में वैज्ञानिक चेतना एवं नारी सशक्तिकरण' था। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (शिमला) से किन्नरों पर शोध कर रही भारती के आलेख का शीर्षक 'हिंदी साहित्य में विदुषी महिलाएं : एक वैज्ञानिक समाजशास्त्रीय अध्ययन' था। प्रखर गूंज पब्लिकेशन की सह संपादक आरती प्रियदर्शिनी ने उनके द्वारा रचित वैज्ञानिक कहानी 'आकाशगंगा का रहस्य' पर अपने वैज्ञानिक चिंतन को प्रस्तुत किया।
स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में सक्रिय प्रिया श्रीवास्तव ने 'भारतीय लेखिकाओं का वैज्ञानिक चिंतन' शीर्षक से अपना आलेख पाठ किया। कल्याणी विश्वविद्यालय की शोधार्थी श्रद्धा गुप्ता 'केशरी' ने भी अपना सारगर्भित आलेख पाठ प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था - 'भारतीय लेखिकाओं के कथा साहित्य में वैज्ञानिकता'। युवा शिक्षिका प्रीति कुमारी साव (हावड़ा, पश्चिम बंगाल) के आलेख का शीर्षक 'आधुनिक वैज्ञानिक चेतना और भारतीय लेखिकाओं का साहित्य' था। इस पूरे आभासी संगोष्ठी का कुशलतापूर्वक संचालन हिंदी विश्वविद्यालय (हावड़ा, पश्चिम बंगाल) की सहायक प्राध्यापिका डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी ने किया। संगोष्ठी के तकनीकी संचालन और प्रसारण का कार्य प्रकाश कुमारी त्रिपाठी (शोधार्थी, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर) ने किया। इस पूरे आयोजन की परिकल्पना और रूपरेखा विनोद यादव (कोलकाता) ने तैयार की थी।