बच्चों को कोमल हंसी सबको भाती जाती है, पर उसके अंदर की छुपी हुई रहस्य से हम शायद अनभिज्ञ ही रहते है। हिंदी साहित्य की जानी-मानी कवियित्री किरण बरेली जी ने अपने अनुभव के द्वारा जो कुछ भी महसूस किया उन्हें अपने शब्दों में पिरोने का कोशिश की है। उनकी बच्चों के प्रति समर्पित भावना को नमन!
मुस्कुराहट
✍️ किरण बरेली
ओ नन्ही कोमल सी कली
तेरी जिंदगी में मुफ़लिसी सही
बेबसी लाचारगी भी है
तमाम दुश्वारियां के बावजूद
तेरी मुस्कराहट बेहद प्यारी है।।
नन्हे/नन्हे हाथों ने
श्रम का संकल्प लें लिया
मजबूत मन ने जीने का
अर्थ ढ़ूंढ लिया।।
तुम बड़ी हुनरमंद बेटी जो ठहरी
मोलभाव के बाजार में
बसर कर रही हो
ओ मासूम मन तेरा बचपन
जाने कहां खो गया
वक्त को हराकर/वक्त से आगे निकल रही हो।।
क्रूर वक्त ने किस कदर कहर बरपाया है
तीखी धूप के मुकाबले तुझे ललकारा है
तेरी सांसों में हजारों सपने बसे होंगे
लेकिन यह कर्मभूमि तेरे सपनों की नगरी है
हर लम्हा कांटों की मानिंद
कभी फूल सा खिल जाएगा
तेरा श्रम ही विजयी कहलाएगा।।