राजगीर का वेणुवन!
✍️राजीव कुमार झा
राजगीर अब आप पटना से बख्तियारपुर के रेलमार्ग के अलावा गया -तिलैया - नटेशर के रेलमार्ग से भी पहुंच सकते हैं। यद्यपि गया - राजगीर रेलमार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही नाममात्र की ही है। यहां हवाई अड्डा अभी चालू नहीं हुआ है लेकिन भारत सरकार के संस्कृति विभाग के द्वारा स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षण का कार्य इसके नवनिर्मित परिसर में सुचारू रूप से शुरू हो चुका है।बिहार के राजगीर का प्राचीन नाम राजगृह है । इसे प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी भी माना जाता है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार भगवान बुद्ध को राजगृह और यहां की सुंदर पहाड़ियां अत्यंत प्रिय थीं। वर्षा ऋतु में वह राजगृह के गृद्धकूट पर्वत शिखर पर वास करते थे। यहां उन्हें वेणुवन नामक उद्यान बेहद प्रिय था। यह एक सुंदर उद्यान है और भगवान बुद्ध गृद्धकूट पर्वत पर वर्षावास काल में यहां प्रात भ्रमण के लिए पधारा करते थे। इसी वजह से वेणुवन को महाविहार भी कहा जाता है और विविध प्रकार असंख्य पुराने वृक्षों की सुरम्य छाया में स्थित यह उद्यान सदियों से असंख्य लोगों को सुकून शांति प्रदान करता रहा है। वेणुवन में असंख्य प्रकार के पेड़ पौधे हैं लेकिन इनमें बांस के पेड़ों की बहुतायत होने के कारण संभवतः इसका नाम वेणुवन पड़ा। वेणुवन अब बिहार सरकार के वन और पर्यावरण विभाग की देखरेख में है और यह संतोष की बात है कि नालंदा जिला प्रशासन इस प्राचीन उद्यान की देखभाल में कोई कोर कसर नहीं रख रहा है। जीवन के सभी प्रकार के शोर शराबे से दूर वेणुवन प्रकृति के नैसर्गिक स्पंदन से सबके मन को अभिभूत करता है। यहां के पेड़ों की पुरानी डालियों पर सुंदर पक्षी वास करते हैं और पुराने पेड़ों की छाया में कुछ पल बैठकर वर्तमान जीवन के तनावों और भटकावों में असीम शांति मिलती है। हृदय राजगीर को छठी शताब्दी ईसा पूर्व काल में देश में स्थापित होने वाले नगरों में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे अजातशत्रु और बिम्बिसार के अलावा भगवान बुद्ध की पावन महिमा और उनकी कीर्तिगाथा का भी नगर कहा जाता है। ओर राजगीर के वेणुवन उनके शांति और प्रेम के वचन आज भी यहां के मौन में गूंजते प्रतीत होते हैं।
यहां एक सुंदर सरोवर भी स्थित है और वेणुवन के चारों ओर राजगृह की पहाड़ियों की सुषमा rस्वर्गिक आभा से इस उद्यान की मनोरम छटा को अलौकिक रूप प्रदान करती हैं। वेणुवन अजातशत्रु के किले की जीर्ण शीर्ण दीवारों के पास ही स्थित है। पिछले कुछ सालों में वेणुवन को खूब सजाया संवारा गया है। यहां चिल्ड्रेन पार्क भी बनाया गया है और अब रात में भी यह उद्यान रौशन रहता है। इसके अलावा यह उद्यान में चौबीस घंटे बिहार पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद रहती है। दोपहर को बेला में यहां भ्रमण के लिए काफी लोग आते हैं। संध्याकाल में यह उद्यान सूरज के डूबने के बाद हो जाता है। राजगीर गर्म पानी के कुंडों के लिए भी प्रसिद्ध है लेकिन अब यहां के कुंड सूखते जा रहे हैं और यह सब पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का परिणाम माना जा रहा है। सचमुच प्रकृति में पहाड़ों की तलहटी में स्थित गर्म पानी के भूमिगत झरने विश्व प्रकृति के धरोहर हैं। इनका संरक्षण जरूरी है और इनको बचाने के लिए हरसंभव उपाय किया जाना चाहिए। राजगीर नालंदा के बिलकुल पास में है। धान गेहूं के हरे भरे खेत खलिहानों के बीच बसा यह नगर असंख्य सालों से प्रकृति के सुंदर नजारे प्रस्तुत करता है। पहले यह सुंदर विहारों से सुशोभित था और यह नगर अनेक जैन तीर्थंकरों और मुनियों की भी साधना भूमि रहा है। राजगीर के जंगल पहले उजड़ गए थे लेकिन यहां हाल में वेणुवन से थोड़ी दूर एक वन्य प्राणी आश्रयणी को फिर बसाया गया है।