मुँह दिखला दो साहब, फिर मैं आंसू नहीं बहाऊंगी!
तमाम शहीदों को दिल से नमन....
✍️बिजेंद्र कुमार तिवारी
मुँह दिखला दो साहब फिर मैं आंसू नहीं बहाऊंगी।
उनके जैसे ही सीमा पर मैं भी लड़ने जाऊँगी।।
बिलख-बिलख कर रोती जाती है अर्थी के पास।
रोते थे सब उसके दुख को खुद करके एहसास।।
रोती कहती अपनी वेदना मैं उनको बताऊंगी।
मुँह दिखला दो साहब फिर मैं आंसू नहीं बहाउँगी।।
पैर पकड़कर साहब का वह करती रही गुहार।
करा दो अंतिम दर्शन इनका हे मेरे सरकार।।
अंतिम दर्शन करके मैं खुद ही खुद को समझाऊंगी।
मुँह दिखला दो साहब फिर मैं आँसू नहीं बहाउँगी।।
बिलख रहे थे साहब अपने मन में रहे कराह।
उस विधवा की दशा देखकर मन से निकले आह।।
इस संकट की घड़ी में सबको साहस देहू विधाता।
तेरे दर पर बिलख रहा हूं सुन लो भारत माता।।
धूल से तेरे चरणों की मैं निशदिन करता चंदन।
साहस दो अब करता हूँ तेरे चरणों का बंदन।।
बिखरे उर के तंत्र-यंत्र सब बिखरे सर के ताज।
इस अधीर देवी को बोलो कैसे बताएं राज।
राज राज ही रहे राज को हम कैसे बताएँ।
मुँख ही नहीं है इसका बोलो कैसे हम दिखलाएँ।।
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
मो. न. 7250299200