विश्व सर्वभाषा कवि सम्मेलन में छपरा की बेटी डॉ ममता मनीष सिन्हा सम्मानित!
सारण (बिहार) संवाददाता संजीव शर्मा: प्रसिद्ध कवयित्री एवं छपरा की बेटी डॉ. ममता मनीष सिन्हा को प्रसार भारती आकाशवाणी भारत द्वारा आयोजित विश्व के सबसे बड़े "सर्वभाषा कवि सम्मेलन 2025" में सम्मानित किया गया है। यह कार्यक्रम 18 दिसंबर से 19 दिसंबर 2024 तक आकाशवाणी मुंबई, महाराष्ट्र में आयोजित हुआ। 18 दिसंबर को कार्यक्रम का रिहर्सल एवं 19 दिसंबर को सम्मान समारोह एवं काव्यपाठ का आयोजन हुआ।
डॉ ममता मनीष सिन्हा का मायका नई बस्ती, श्याम चक छपरा, बिहार है। जहां इनके पिता श्री गजाधर प्रसाद श्रीवास्तव एवं माता श्रीमती बिन्नी देवी सपरिवार स्थाई निवासी हैं। इनकी प्रारम्भिक तथा उच्च शिक्षा राजेंद्र कॉलेजिएट एवं राजेंद्र कॉलेज छपरा से हुई है।
डॉ. ममता मनीष सिन्हा का चयन संथाली भाषा की अनुवादक कवयित्री के रूप में हुआ है। उन्होंने प्रसिद्ध संथाली कवि अनल हेंब्रम की संथाली कविता 'आलम पंजाइयां' का हिंदी अनुवाद 'मुझे मत करो तलाश' शीर्षक से किया। उल्लेखनीय है कि 21 प्रादेशिक भाषाओं के चयनित कवियों द्वारा कविताओं का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया गया। डॉ ममता मनीष सिन्हा को महानिदेशक आकाशवाणी श्रीमती मौसमी चक्रवर्ती ने आमंत्रित किया था। कार्यक्रम सहायक निदेशक आकाशवाणी श्री रामावतार बैरवा ने बताया कि "डॉ. ममता मनीष सिन्हा का चयन उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक प्रतिभा और संथाली भाषा पर उनकी गहरी पकड़ को देखते हुए किया गया।"
प्रसार भारती भारत द्वारा इस कार्यक्रम का प्रसारण पूरे विश्व में 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर किया जाएगा, इस कार्यक्रम का प्रसारण विश्व के 400 भाषाओं में होगा।
ज्ञातव्य है कि डॉ. ममता हिंदी, भोजपुरी के अलावें संथाली, नागपुरी, खोरठा एवं मैथिली भाषा में भी लिखती हैं। डॉ. ममता न केवल एक प्रतिष्ठित कवयित्री हैं, बल्कि कुशल मंच संचालिका और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह भारत सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना अन्तर्गत गुगन नीटवेयर प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से बिहार झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को रोजगार प्रशिक्षण प्रदान करने के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इसके अलावा, वह महिलाओं और दिव्यांगजनों की शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों के समाधान हेतु विभिन्न क्षेत्रीय एनजीओ के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।
डॉ. ममता मनीष सिन्हा ने कहा कि "संथाली भाषा के एकमात्र अनुवादक कवयित्री के रूप में राष्ट्रीय मंच पर होने पर खुद को धन्य महसूस कर रही हूँ, अखिल भारतीय सम्मेलन में प्रादेशिक भाषा अनुवादक के रूप में कविता पढ़ने का अवसर मिलने से क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है तथा बिहार एवं झारखंड का विश्व पटल पर प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात है। यह अवसर दोनों राज्यों के साहित्य और संस्कृति को नई पहचान देगा।"
पिछले 68 वर्षों से आकाशवाणी द्वारा इस कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, और डॉ. ममता का इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के लिए चयन तथा काव्यपाठ बिहार एवं झारखंड के साहित्य जगत के लिए गौरव का विषय है। डॉ. ममता पूर्व में भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। छपरा की बिटिया के इस गौरवपूर्ण साहित्यिक सम्मान पर छपरा जिले के साहित्य प्रेमियों में हर्ष और गर्व का माहौल है।